घुमंतू समाज का जिला सामाजिक सम्मेलन 9 मार्च को गुना में, घुमंतू समाज को समाज की मुख्यधारा से जोड़ना हमारा कर्तव्य हे, घूमंतु समाज धार्मिक और राष्ट्रभक्त हमेशा से ही रहा है: लखन विश्वकर्मा

गुना (आरएनआई) घुमंतू समाज को समाज की मुख्यधारा में जोड़ना एवं शासन प्रशासन गांव और शहर में निवासरत अपने संभ्रात समाज को एक संदेश देना की छोटे बड़े त्रिपाल एवं डैरो में निवास करने वाला घुमंतु समुदाय भी हमारा अपना है समुदाय की रक्षा सुरक्षा करना हमारा परम कर्तव्य है ! उक्त बात घुमंतू समाज के मध्य भारत प्रांत प्रमुख लखन विश्वकर्मा ने पत्रकार वार्ता को संबोधित करते हुए कही। उन्होंने कहा कि घुमंतू समाज को शिक्षा, स्वास्थ, स्वरोजगार, सामाजिक सम्मान एवं शासन की जनकल्याण कारी योजनाओं का इन्हें लाभ मिले इस उद्देश्य से गुना जिले में 9 मार्च 2025 रविवार को घुमंतू समाज का विराट सामाजिक सम्मेलन, स्थान जलसा गार्डन, गायत्री मंदिर के सामने गुना में होने जा रहा है इस सम्मेलन की तैयारियों से पूर्व रविवार को स्थानीय होटल गुना में पत्रकार वार्ता का आयोजन किया गया जिसमें मुख्य रूप से राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के नगर संघ चालक महेंद्र सिंह संधू, मध्य भारत प्रांत प्रमुख लखन विश्वकर्मा, घुमंतू समाज विभाग सह संयोजक गिरधारी लाल सेन, समाज प्रमुख बंजारा समाज मोतीलाल नायक, समाज प्रमुख अगरिया समाज रामसिंह अगरिया, घुमंतू समाज जिला संयोजक मनीष शर्मा , मिडिया प्रभारी विकास जैन नखराली मुख्य रूप से उपस्थित रहे। पत्रकार वार्ता के माध्यम से जानकारी देते हुए लखन विश्वकर्मा ने कहा कि मध्य प्रदेश की 51 घुमंतू जातियों में से गुना जिले में 18 घुमंतू जातियां निवास करती हैं ! जिसकी आबादी लगभग 45 हजार है! ओर 9 मार्च को इस सम्मेलन में समस्त घुमंतू जातियों की सहभागिता होने वाली हे। कार्यक्रम उपरांत घुमंतू समाज का विराट चल समारोह कार्यक्रम स्थल से निकाला जाएगा जो कि शहर के मुख्य मार्गों से गुजरेगा। चल समारोह हनुमान चौराहा, हाट रोड, निचला बाजार, सदर बाजार होते हुए जयस्तंभ चौराहा पहुंचेगा जहां पर भारत की आरती का कार्यक्रम किया जाएगा तत्पश्चात चल समारोह ए वी रोड हुए कार्यक्रम स्थल जलसा गार्डन पहुंचेगा ओर इसका समापन होगा। इस चल समारोह में घुमंतू समाज अपने पारंपरिक वेशभूषा, ऊंट, घोड़ा गाड़ी, डोल धमाके, रन सिंगा आदि बाध्य यंत्रों एवं महा पुरुषों के चित्र एवं प्रदर्शनी के साथ भव्यता प्रदर्शित कर समाज को एकता और जागरूकता का संदेश दिया जाएगा।
कौन है घुमंतू समाज
श्री विश्वकर्मा ने बताया कि घुमंतू समाज की यदि हम आज से 1 हजार वर्ष पहले की बात करें तो देखेंगे कि घुमंतु समुदाय घूम घूम कर व्यापार करने वाला समाज था, वह अपनी संस्कृति को लोक गायन, लोक कला के माध्यम से जन-जन तक पहुंचाने वाला समाज रहा है।
घूमंतु समाज धार्मिक और राष्ट्रभक्त हमेशा से ही रहा है
घूमंतु क्यों है
श्री विश्वकर्मा ने कहा कि अपने घुमंतू समुदाय के काम इस प्रकार थे की देश में रहने वाले प्रत्येक समाज एवं स्वयं की जरूरतो की पूर्ति के लिए पूरा समुदाय देश भर में घूमता रहता था
जैसे कि हमारा बंजारा समाज ट्रांसपोर्ट के काम महत्पूर्ण भूमिका निभाते हुए कपड़े का व्यवसाय करता था तो वही नट समाज समाज के बीच पहुंचकर मनोरंजन के साथ साथ सर्कस एवं अन्य गतिविधियों के द्वारा समाज के बीच रहकर अपनी लोक कला जिसमें मुख्यता रस्सी व बांस पर चलना आदि कर्तव्य दिखाकर अपना जीवन यापन करते थे। इसी प्रकार सपेरा समाज विष के जानकार व सांप के काम में निपुणता रखते हे। भाट समाज का काम कुल बखान करने का था। भोपा समाज गायन के क्षेत्र में निपुण थे। गड़रिया समाज पशुपालन का व्यापार करते थे। सांसी एवं कंजर समाज योद्धा जाति के रहे। लोहापीटा समाज कृषि औजार का निर्माण में अपनी दक्षता रखते थे। सिकलिगर समाज देश की रक्षा में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हुए हथियार बनाते थे ऐसे बिभिन्न प्रकार के आर्थिक, धार्मिक, लोक कलाओं से पूर्ण समाज था।
बर्तमान स्थिति
लखन विश्वकर्मा ने कहा कि आज़ादी के समय इस समुदाय ने क्रांतिकारियों का साथ दिया था और अंग्रेजो के विरुद्ध काम किया इसलिए अंग्रेजो ने 1871 मैं जब ये बहुत दबाव के बाद ईसाई मुसलमान नही बने तो देशभर की लगभग 193जातियों पर क्रिमिनल एक्ट लगाकर जन्मजात अपराधी घोषित कर दिया।
1947 मैं देश आज़ाद हुआ तो 1952 में समुदाय पर लगे क्रिमिनल एक्ट को कागज़ से तो हट गया लेकिन इनकी स्थिति सुधारने के कोई प्रयास नहीं किए। आज भी समुदाय तिरपाल की जिंदगी जीने को मजबूर है और अपनी अस्मिता की लड़ाई लड़ रहा है। अपने घुमंतु समुदाय को समाज की मुख्यधारा में जोड़ने के लिए 6 प्रकार के काम संस्था द्वारा किए जा रहे हैं। 1. दस्तावेज बनवाना एवं सरकारी योजनाओं का लाभ दिलाना,2. शिक्षा,3. स्वास्थ,4. रोजगार,5. धर्म आस्था और समाजिक सम्मान, 6. समुदाय की लोक कलाओं का संवर्धन आदि।
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