गौ ध्वज स्थापना यात्रा का विरोध, सरकार ने लगाया प्रतिबंध, स्वामी ने पूछा, मुझे क्यों रोका जा रहा है
यह रैली देशव्यापी गाय के वध पर प्रतिबंध के समर्थन में आयोजित की जा रही है, लेकिन इसे क्षेत्र की सांस्कृतिक और सामाजिक सद्भावना के लिए खतरा बताया गया है।
नई दिल्ली (आरएनआई) नगालैंड सरकार ने गाय के वध पर प्रतिबंध लगाने वाली गौ ध्वज स्थापना यात्रा को कई जिलों में संभावित सार्वजनिक शांति भंग होने के डर के कारण प्रतिबंधित कर दिया है। यह आदेश दीमापुर में पुलिस आयुक्त के कार्यालय द्वारा जारी किया गया है, जिसमें सार्वजनिक व्यवस्था में विघ्न की आशंका को प्रतिबंध का मुख्य कारण बताया गया है।
कई नागा संगठनों ने 28 सितंबर को कोहिमा में होने वाली ‘गौ ध्वज यात्रा’ का जोरदार विरोध किया है। यह रैली देशव्यापी गाय के वध पर प्रतिबंध के समर्थन में आयोजित की जा रही है, लेकिन इसे क्षेत्र की सांस्कृतिक और सामाजिक सद्भावना के लिए खतरा बताया गया है।
यह प्रतिबंध दीमापुर, चुमुकेदीमा और न्यूलैंड जिलों पर लागू है। यह राज्य सरकार के निर्देशों का पालन करता है और भारतीय संविधान के अनुच्छेद 371(A) में शामिल प्रावधानों पर आधारित है। दीमापुर के पुलिस आयुक्त और जिला मजिस्ट्रेट केबिथुतो सोफी ने गुरुवार को यह आदेश जारी किया। स्थानीय अधिकारियों, जिनमें गृह आयुक्त, पुलिस महानिदेशक, और विभिन्न जिला अधिकारी शामिल हैं, को प्रतिबंध को लागू करने और आवश्यक कार्रवाई करने के लिए सूचित किया गया है।
बुधवार को स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने सिक्किम में अपने गौ ध्वज स्थापना भारत यात्रा के दौरान नगालैंड की सरकार द्वारा प्रवेश से वंचित किए जाने पर निराशा प्रकट की थी। उन्होंने कहा, मैंने किसी को हानि नहीं पहुंचाई है और न ही किसी व्यक्ति के खिलाफ बुरा कहा है। मैं केवल लोगों तक अपना संदेश पहुंचाने का अवसर चाहता हूं। मुझे क्यों रोका जा रहा है। उन्होंने पूर्वोत्तर राज्यों के मुख्यमंत्रियों से अपील की कि वे उनकी यात्रा में बाधा न डालें और गाय के वध और संरक्षण से संबंधित विवादास्पद मुद्दों पर खुली चर्चा के लिए आमंत्रित करें।
कई नगा संगठनों ने 28 सितंबर को कोहिमा में होने वाली ‘गौ ध्वज यात्रा’ का जोरदार विरोध किया है। यह रैली देशव्यापी गाय के वध पर प्रतिबंध के समर्थन में आयोजित की जा रही है, लेकिन इसे क्षेत्र की सांस्कृतिक और सामाजिक सद्भावना के लिए खतरा बताया गया है। नगा स्टूडेंट्स फेडरेशन (एनसीएफ) ने प्रस्तावित यात्रा की निंदा करते हुए कहा कि यह नगा लोगों की सामाजिक और सांस्कृतिक धारा का अपमान है। एनसीएफ के मुताबिक, यह घटना संविधान के अनुच्छेद 371A के तहत मिले अधिकारों को चुनौती देती है, जो नगा लोगों की परंपराओं और धार्मिक प्रथाओं की रक्षा करती है।
एनसीएफ ने जोर दिया कि नगालैंड विधान सभा और राज्य सरकार ने “गाय के वध पर प्रतिबंध अधिनियम 2019” को लागू नहीं करने का निर्णय लिया है, जो नगा परंपराओं की रक्षा करने वाले अनूठे प्रावधानों को दर्शाता है। एनसीएफ ने चेतावनी दी कि इन प्रावधानों के विपरीत कानून लागू करने का कोई भी प्रयास अस्वीकार्य है और ऐसे कदम क्षेत्र की शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व की भावना को नुकसान पहुंचा सकता है।
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