खाद और खाद? सिंधिया जी समस्या सुलझने की जगह?
नानाखेड़ी,कलेक्ट्रेट के पास,बाघेरी और झागर में खाद के लिए उमड़ी भीड़?
गुना (आरएनआई) राष्ट्रवाद के नाम पर दिए वोट की कीमत कुछ इस तरह चुका रहे हैं हम..
दो कट्टा खाद के लिए रात-रात भर लाइनों में बिता रहे हैं हम.
सुबह होने पर भी खाद तो मिल नहीं रही हमको , पर अधिकारियों की दुत्कार और गालियां जरुर खा रहे हैं हम.
सवाल यही है अगर खाद आ रहा है तो जा कह रहा है....?
क्या यही है किसानों की सरकार....?
सरकार और सरकार को नैतिक समर्थन देने वाले बड़े-बड़े संगठन , तमाम राजनेता और राजनेताओं के समर्थक तथा सरकार को हर बात मैं कोसनें वाला विपक्ष आखिर क्यों किसानों की इस दुर्दशा पर मौन है.....?
क्या सरकारी नुमाइंदों को और सरकार को यह पता नहीं होता कि हर साल कितना डीएपी लगेगा उसकी व्यवस्था क्यों नहीं होती क्यों हर साल खाद की शॉर्टेज होती है या फिर जान पूछ कर खाद की शॉर्टेज क्रिएट की जाती है...?
खाद , बीज और दवाइयां के बिना किसान की हालत वैसी ही है जैसी बिना हथियारों के सैनिक की होती है जिम्मेदारों को सोचना है कि बिना हथियारों के सैनिक युद्ध कैसे जीतेगा और बिना खाद बीज के किसान फसल कैसे उगाएगा...?
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