खाक चौक के संतों ने किया नई परंपरा का एलान, माघ मेले में भी होगा अमृत स्नान
खाक चौक के संतों ने अगामी माघ मास से नई परंपरा का एलान किया है। माघ मेले में खाक चौक के संत राजसी सवारी के साथ अमृत स्नान करेंगे। इसके लिए बाकायदा दो तिथियां भी तय कर दी गईं।
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प्रयागराज (आरएनआई) खाक चौक के संतों ने अगामी माघ मास से नई परंपरा का एलान किया है। माघ मेले में खाक चौक के संत राजसी सवारी के साथ अमृत स्नान करेंगे। इसके लिए बाकायदा दो तिथियां भी तय कर दी गईं। शनिवार को खाक चौक पदाधिकारियों ने मेला प्राधिकरण को पत्र भेजकर इससे जुड़ी व्यवस्थाएं सुनिश्चित करने की मांग की है। महाकुंभ नगर में खाक चौक पदाधिकारियों की बैठक में यह फैसला हुआ। खाक चौक व्यवस्था समिति के प्रधानमंत्री जगतगुरु संतोषाचार्य के मुताबिक देश भर में खाक चौक से ढाई सौ से अधिक खलासे एवं साधु-संत जुड़े हैं। सनातन परंपरा में अमावस्या एवं वसंत पंचमी के स्नान का विशेष धार्मिक महत्व है।
बैठक में साधु-संतों ने इस पर विस्तार से चर्चा की। विचार-विमर्श के बाद इन दोनों तिथियों पर अमृत स्नान का फैसला किया गया। यह अमृत स्नान भी कुंभ के अमृत स्नान की तरह भव्य होगा। खाक चौक से जुड़े महंत, श्रीमहंत, महामंडलेश्वर एवं जगतगुरू अपने शिष्यों को लेकर राजसी सवारी के साथ निकलेंगे। राजसी वैभव के साथ सभी साधु-संत महात्मा स्नान करेंगे। अगले माघ मेले से इस नई परंपरा की शुरूआत होगी। हर माघ मेले में यह दोनों अमृत स्नान होगा। खाक चौक पदाधिकारी माधवदास जी महाराज के मुताबिक इस नई व्यवस्था के लिए मेला प्राधिकरण अफसरों को पत्र भेजकर बता दिया गया है। उनसे अगले माघ मेले से यह व्यवस्था बनाने की बात कही गई है।
खाक चौक से जुड़े संत मूल रूप से त्यागी, तपस्वियों से मिलकर बना है। तपस्वी वसंत पंचमी को धूना तापने के साथ साधना आरंभ करते हैं। धूना से पैदा हुई खाक (राख) ही इनकी पहचान बन गई। माघ मेले के दौरान तपस्वियों को एक स्थान पर ही बसाया जाता है। उसे ही खाक चौक कहते हैं। इसकी व्यवस्था देखने वाले खाक चौक व्यवस्था समिति से देश भर के कुल करीब 213 खलासे जुड़े हैं हालांकि पदाधिकारियों का कहना है समय के साथ इनकी संख्या बढ़ गई। कई खलासे में सदस्य बढ़ने से उनके अलग-अलग शिविर लगाने की आवश्यकता हो रही है। ऐसे में संख्या बढ़कर अब 250 से अधिक हो गई है।
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