खजुराहो लोकसभा से सपा प्रत्याशी का नामांकन रद्द किया, जाना आपराधिक कार्य

निर्वाचन अधिकारी पर कार्यवाही की जाए। 

Apr 5, 2024 - 23:13
Apr 5, 2024 - 23:14
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खजुराहो लोकसभा से सपा प्रत्याशी का नामांकन रद्द किया, जाना आपराधिक कार्य

भोपाल (आरएनआई) पिछड़ा वर्ग विकास मोर्चा के प्रांतीय अध्यक्ष महेंद्र सिंह एवं राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग अधिकार संगठन के राष्ट्रीय अध्यक्ष रमाकांत यादव ने संयुक्त प्रेस विज्ञप्ति जारी करते हुए कहा है कि खजुराहो लोकसभा सीट से सपा प्रत्याशी का नामांकन रद्द किया जाना एक गंभीर आपराधिक षडयंत्र है। किसी पार्टी के प्रत्याशी को चुनाव लड़ने का अवसर न देना लोकतंत्र की हत्या के समान है।

उन्होंने वक्तव्य में बताया है कि निर्वाचन अधिकारी का यह कार्य लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 की धारा 33 का उल्लंघन एवं मनमानी पूर्ण कार्य है। धारा 33(4)(2) में यह स्पष्ट प्रावधान है कि निर्वाचक नामावली में ,या नाम निर्देशन पत्र में किसी गलत नाम अशुद्ध वर्णन या लेखन संबंधी तकनीकी त्रुटि या मुद्रण संबंधी भूल की अनुवीक्षा की जाए।

 इसी धारा में यह भी वर्णित है कि जब नामांकन पत्र दाखिल किया जाता है तो रिटर्निंग ऑफिसर का यह कर्तव्य होता है कि वह नामांकन पत्र का परिशीलन करें ।

यदि कोई त्रुटि है तो उसे बताएं अभ्यर्थी को त्रुटियों का परिशोधन करने की अनुमति दे। धारा 33(5)में यह भी कहा गया है कि निर्वाचक नामावली की प्रमाणित प्रति यदि नाम निर्देशन पत्र के साथ फाइल न की गई हो तो समीक्षा के समय रिटर्निंग ऑफिसर के समक्ष पेश की जाएगी। 

निर्वाचन संबंधी प्रकरणों में निर्णय देते हुए माननीय सुप्रीम कोर्ट द्वारा अनेकों बार यह बात दोहराई गई है कि निर्वाचन अधिकारी की टेबल चुनाव की लड़ाई या निर्णय का मैदान नहीं होनी चाहिए बल्कि, हर उम्मीदवार को उसके नामांकन में पाई गई त्रुटियों को ठीक करने का अवसर देकर उन्हें चुनाव के मैदान में उतरने और जनता के बीच जाकर चुनाव की लड़ाई लड़ने का अवसर दिया जाना चाहिए।

किंतु इस प्रकरण में निर्वाचन अधिकारी द्वारा भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष वी.डी. शर्मा और प्रदेश सरकार के दबाव बस सपा प्रत्याशी के फार्म की साधारण सी त्रुटियों को ठीक करने का अवसर न देकर जानबूझकर नामांकन रद्द कर दिया गया है।और भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष खजुराहो से भाजपा के लोकसभा प्रत्याशी को चुनाव में विजई बना देने के षड्यंत्रकारी काम को अंजाम दिया गया है।

 निर्वाचन अधिकारी का यह कृत्य लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 33 एवम भारत निर्वाचन आयोग द्वारा जारी निर्देशों का स्पष्ट उल्लंघन है तथा घोर पक्षपात पूर्ण कार्यवाही है। हमारा माननीय भारत निर्वाचन आयोग से अनुरोध है कि वह शीघ्र इस प्रकरण की गहराई से जांच करके निर्वाचन अधिकारी के विरुद्ध नियमानुसार कठोर कार्यवाही करें। निर्वाचन अधिकारी की इस पक्षपात पूर्ण प्रवृत्ति को देखकर लगता है कि लोकसभा खजुराहो में उनके रहते निष्पक्ष  चुनाव संपन्न नहीं हो सकता है ।

अतः उन्हें तत्काल प्रभाव से निर्वाचन अधिकारी के पद से हटाया जाए। माननीय सुप्रीम कोर्ट ने अनेक न्याय निर्णयों में कहा है कि निर्वाचन अधिकारी की टेबल चुनाव की लड़ाई का मैदान नहीं होगी बल्कि अभ्यर्थियों को जनता के बीच में जाने का मौका दिया जाएगा ,साधारण और तकनीकी त्रुटियां ठीक कराई जाएंगी।

 किंतु इसके बावजूद  सपा प्रत्याशी के फॉर्म में साधारण सी तकनीकी गलती बता कर उसे निरस्त कर दिया गया है जो कि स्पष्ट रूप से दबाव वश या प्रदेश अध्यक्ष को अनुचित लाभ पहुचानेंं के लिए किया गया सड़यंत्रकारी और अपराधिक कार्यवाही जैसा कृत्य है।माननीय  निर्वाचन आयोग से हमारी मांग है कि कलेक्टर पन्ना को तत्काल प्रभाव से निलंबित किया जाए उन्हें पन्ना से हटाया जाए तथा सपा प्रत्याशी को निर्वाचन नियमों के अंतर्गत फार्म की साधारण त्रुटियों को ठीक करने का अवसर दिया जाए जिससे वह चुनाव के मैदान में उतर सके और प्रजातांत्रिक तरीके से संसदीय चुनाव लड़ सके।

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