क्या बंगाल सरकार-राज्यपाल फिर आमने-सामने? 'उम्मीदवारों' के कारण कुलपतियों की नियुक्ति पर संशय
अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणी द्वारा सुप्रीम कोर्ट को सूचित किए जाने के एक दिन बाद यह बात सामने आई है। उन्होंने शीर्ष अदालत को बताया कि भारत के पूर्व मुख्य न्यायाधीश यूयू ललित की अध्यक्षता वाली खोज-सह-चयन समिति द्वारा सुझाए गए नामों के पैनल में से कुल 11 नामों को राज्यपाल ने मंजूरी दे दी है।
कोलकाता (आरएनआई) पश्चिम बंगाल में सत्तारूढ़ टीएमसी सरकार का विश्वविद्यालयों के कामकाज को लेकर राज्यपाल सीवी आनंद बोस के साथ टकराव एक बार फिर सामने आ सकता है। राजभवन के एक सूत्र ने मंगलवार को बताया कि अगर राज्यपाल सीवी आनंद बोस को राज्य सरकार द्वारा भेजे गए उम्मीदवारों के पैनल में से किसी भी नाम पर आपत्ति होगी, तो वे उन नामों को विश्वविद्यालयों के कुलपति के रूप में नियुक्त नहीं करेंगे।
अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणी द्वारा सुप्रीम कोर्ट को सूचित किए जाने के एक दिन बाद यह बात सामने आई है। उन्होंने शीर्ष अदालत को बताया कि भारत के पूर्व मुख्य न्यायाधीश यूयू ललित की अध्यक्षता वाली खोज-सह-चयन समिति द्वारा सुझाए गए नामों के पैनल में से कुल 11 नामों को राज्यपाल ने मंजूरी दे दी है। राज्यपाल राज्य सहायता प्राप्त विश्वविद्यालयों के चांसलर हैं।
राज्यपाल की अपील के बाद, सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें अन्य विश्वविद्यालयों के कुलपतियों की नियुक्ति के लिए अधिक समय की अनुमति दी। सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त खोज सह चयन समिति ने प्रत्येक विश्वविद्यालय के लिए तीन नामों का एक पैनल दिया है। सीएम ने उन्हें तरजीह दी। राज्यपाल ने उनकी जांच की और सभी उम्मीदवारों से विभिन्न मामलों पर चर्चा की।
राज्यपाल को जो नाम ठीक लगेंगे, वह उन्हें नियुक्त करेंगे। यदि उनमें से किसी के बारे में उन्हें कोई आपत्ति है, तो राज्यपाल उन्हें नियुक्त नहीं करेंगे।
सुप्रीम कोर्ट ने जुलाई में पूर्व मुख्य न्यायाधीश को पश्चिम बंगाल में राज्य संचालित विश्वविद्यालयों के कुलपतियों की नियुक्तियों की निगरानी के लिए एक खोज सह चयन समिति का प्रमुख नियुक्त किया था।
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