क्या नोएडा प्राधिकरण ने भू-स्वामियों को ज्यादा मुआवजा दिया? सुप्रीम कोर्ट ने जांच के लिए बनाई एसआईटी
सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा इस मामले की जांच के लिए गठित समिति के कामकाज से भी असंतुष्टि जाहिर की और इसकी जांच के लिए एक अलग एसआई गठित करने का आदेश दिया।
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नई दिल्ली (आरएनआई) सर्वोच्च न्यायालय ने नोएडा अथॉरिटी द्वारा भू-स्वामियों को दिए गए कथित अवैध मुआवजे की जांच के निर्देश दिए हैं। इसके लिए सुप्रीम कोर्ट ने एसआईटी को नियुक्ति किया है। जस्टिस सूर्य कांत और जस्टिस एन कोटिश्वर सिंह की पीठ ने नोएडा अथॉरिटी के कानूनी सलाहकार और एक अन्य कानूनी अधिकारी की अग्रिम जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए ये आदेश दिया। इन अधिकारियों पर भ्रष्टाचार का आरोप है।
पीठ ने कहा कि आरोप है कि अवैध रूप से कुछ भू-स्वामियों को भारी मात्रा में मुआवजा दिया गया, जबकि वह इतने मुआवजे के हकदार नहीं थे। सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा इस मामले की जांच के लिए गठित समिति के कामकाज से भी असंतुष्टि जाहिर की और इसकी जांच के लिए एक अलग एसआई गठित करने का आदेश दिया। इस एसआईटी में आईपीएस अधिकारी और लखनऊ जोन के एडिश्नल जनरल ऑफ पुलिस एस बी शिराडकर, इंस्पेक्टर जनरल सीबीसीआईडी मोदक राजेश डी राव और यूपी स्पेशन रेंज सिक्योरिटी बटालियन के कमांडेंट हेमंत कुटियाल को शामिल किया गया है।
23 जनवरी को दिए अपने आदेश में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि विशेष जांच समूह (एसआईटी) इस बात की जांच करेगा कि कुछ भू-स्वामियों को अवैध रूप से अधिक मुआवजा तो नहीं दिया गया है। अगर ऐसा हुआ है तो उस समय इस भुगतान के लिए कौन-कौन अधिकारी जिम्मेदार थे। साथ ही एसआईटी इस बात की भी जांच करेगी कि क्या अवैध मुआवजा पाने वाले भू-स्वामियों और अधिकारियों के बीच कोई सांठगांठ तो नहीं थी। साथ ही इसकी भी जांच होगी कि क्या नोएडा अथॉरिटी के पूरे कामकाज में पारदर्शिता, निष्पक्षता की कमी तो नहीं है।
सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार से भी तीन अधिकारियों के नाम मांगे हैं, जिन्हें एसआईटी में शामिल किया जाएगा। साथ ही एसआईटी को निर्देश दिाय है कि वे दो महीने के भीतर एक सीलबंद लिफाफे में अपनी रिपोर्ट अदालत में पेश करें। अदालत ने अपने आदेश में फिलहाल भू-स्वामियों के खिलाफ कोई कार्रवाई न करने का निर्देश दिया है, जिन्हें कथित तौर पर अवैध मुआवजा मिला।
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