'क्या आप किसी मुहूर्त का इंतजार कर रहे?' निर्वासन मसले पर असम सरकार को सुप्रीम कोर्ट की फटकार

जस्टिस अभय एस. ओका और न्यायमूर्ति उज्ज्वल भुइयां की पीठ ने कहा कि हिरासत में लिए गए लोगों के विदेशी होने की पुष्टि होते ही उन्हें तत्काल निर्वासित कर दिया जाना चाहिए। पीठ ने कहा, 'आपने यह कहकर निर्वासन की प्रक्रिया शुरू करने से इनकार कर दिया कि उनके पते पता नहीं हैं। यह हमारी चिंता क्यों होनी चाहिए? आप उन्हें उनके देश भेज दें। क्या आप किसी मुहूर्त का इंतजार कर रहे हैं?'

Feb 4, 2025 - 12:05
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'क्या आप किसी मुहूर्त का इंतजार कर रहे?' निर्वासन मसले पर असम सरकार को सुप्रीम कोर्ट की फटकार

नई दिल्ली (आरएनआई) सुप्रीम कोर्ट ने विदेशी घोषित किए गए लोगों को निर्वासित न करने और उन्हें अनिश्चितकाल तक निरुद्ध केंद्रों में रखने के लिए असम सरकार को फटकार लगाई। कोर्ट ने असम सरकार से पूछा कि क्या वह किसी मुहूर्त का इंतजार कर रही है। कोर्ट ने निर्देश दिया कि सरकार निरुद्ध केंद्रों में रह रहे 63 लोगों को दो सप्ताह के भीतर उनके देश वापस भेजना शुरू करे।

सुप्रीम कोर्ट ने असम के इस दावे पर भी सवाल उठाया कि निर्वासन संभव नहीं था क्योंकि प्रवासियों ने अपने विदेशी पते का खुलासा नहीं किया था। सुप्रीम कोर्ट ने असम सरकार को दो सप्ताह के भीतर हिरासत केंद्रों में रखे गए 63 लोगों को निर्वासित करने का निर्देश दिया।

जस्टिस अभय एस. ओका और न्यायमूर्ति उज्ज्वल भुइयां की पीठ ने कहा कि हिरासत में लिए गए लोगों के विदेशी होने की पुष्टि होते ही उन्हें तत्काल निर्वासित कर दिया जाना चाहिए। पीठ ने कहा, 'आपने यह कहकर निर्वासन की प्रक्रिया शुरू करने से इनकार कर दिया कि उनके पते पता नहीं हैं। यह हमारी चिंता क्यों होनी चाहिए? आप उन्हें उनके देश भेज दें। क्या आप किसी मुहूर्त का इंतजार कर रहे हैं?'

पीठ ने असम सरकार की ओर से पेश वकील से कहा कि जब आप किसी व्यक्ति को विदेशी घोषित करते हैं, तो आपको अगला तार्किक कदम उठाना पड़ता है। आप उन्हें अनंत काल तक निरुद्ध केंद्र में नहीं रख सकते। संविधान का अनुच्छेद 21 मौजूद है। असम में विदेशियों के लिए कई निरुद्ध केंद्र हैं। आपने कितने लोगों को निर्वासित किया है?

शीर्ष कोर्ट ने असम सरकार को निर्देश दिया कि वह निरुद्ध केंद्रों में रखे गए 63 लोगों को दो सप्ताह के भीतर निर्वासित करना शुरू करे और अनुपालन हलफनामा दाखिल करे। पीठ ने असम में विदेशी घोषित किए गए लोगों के निर्वासन और निरुद्ध केंद्रों में सुविधाओं से संबंधित याचिका पर सुनवाई की।

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