कोलेस्ट्रॉल की जांच अब होगी बेहद सटीक, आसान और किफायती
भारतीय वैज्ञानिकों ने एक अत्याधुनिक ऑप्टिकल सेंसिंग प्लेटफॉर्म विकसित किया है जो कोलेस्ट्रॉल की सूक्ष्मतम मात्रा को भी पहचानने में सक्षम है। यह न सिर्फ अत्यधिक संवेदनशील और सटीक है, बल्कि पर्यावरण के अनुकूल भी है, जो भविष्य में स्वास्थ्य जांच तकनीकों की दिशा बदल सकता है।

नई दिल्ली (आरएनआई) कोलेस्ट्रॉल के स्तर की जांच अब पहले से कहीं अधिक आसान, तेज और किफायती होगी। भारतीय वैज्ञानिकों ने एक अत्याधुनिक ऑप्टिकल सेंसिंग प्लेटफॉर्म विकसित किया है जो कोलेस्ट्रॉल की सूक्ष्मतम मात्रा को भी पहचानने में सक्षम है। यह न सिर्फ अत्यधिक संवेदनशील और सटीक है, बल्कि पर्यावरण के अनुकूल भी है, जो भविष्य में स्वास्थ्य जांच तकनीकों की दिशा बदल सकता है। इस नवाचार का श्रेय गुवाहाटी स्थित इंस्टिट्यूट ऑफ एडवांस्ड स्टडी इन साइंस एंड टेक्नोलॉजी (आईएएसएसटी) के शोधकर्ताओं को जाता है।
उन्होंने यह तकनीक रेशम के फाइबर और फॉस्फोरीन क्वांटम डॉट्स के संयोजन से तैयार की है। इसके साथ ही इसे सेल्यूलोज नाइट्रेट झिल्ली में एकीकृत किया गया है, जिससे इसकी कार्यक्षमता और स्थायित्व में वृद्धि हुई है। इस शोध का नेतृत्व प्रो. नीलोत्पल सेन शर्मा, डॉ. आशीष बाला और सीनियर रिसर्च फेलो नसरीन सुल्ताना ने किया है। उनकी टीम ने प्वाइंट-ऑफ-केयर (पीओसी) डिवाइस तैयार की है जो प्रयोगशाला में या जरूरत पड़ने पर कहीं भी तुरंत कोलेस्ट्रॉल की जांच कर सकती है।
इस डिवाइस को मानव रक्त, चूहे के रक्त सीरम और दूध जैसे विभिन्न नमूनों पर सफलतापूर्वक परखा गया है। इससे यह तकनीक केवल चिकित्सा क्षेत्र ही नहीं बल्कि दूध और खाद्य गुणवत्ता जांच जैसे अन्य क्षेत्रों में भी उपयोगी हो सकती है। सबसे उल्लेखनीय बात यह है कि यह डिवाइस पर्यावरणीय दृष्टि से सुरक्षित है, क्योंकि इसके उपयोग से ई-कचरे का उत्पादन नहीं होता। यह इसे पारंपरिक परीक्षण विधियों की तुलना में कहीं अधिक टिकाऊ और भविष्योन्मुख बनाता है।
यह सेंसर हृदय रोगों जैसे एथेरोस्क्लेरोसिस, थ्रोम्बोसिस, मायोकार्डियल इन्फार्क्शन, हाई ब्लड प्रेशर और यहां तक कि कैंसर जैसे गंभीर रोगों के शुरुआती लक्षणों की पहचान करने में मदद कर सकता है।ये सभी बीमारियाँ कोलेस्ट्रॉल असंतुलन से जुड़ी होती हैं।
कोलेस्ट्रॉल एक आवश्यक लिपिड है जो शरीर में लिवर बनाता है और यह विटामिन डी, हार्मोन और पित्त रस के निर्माण में सहायक होता है। कोलेस्ट्रॉल दो प्रकार का होता है। एलडीएल, जिसे खराब कोलेस्ट्रॉल कहा जाता है। यह धमनियों में जमकर ब्लॉकेज का कारण बन सकता है। दूसरा एचडीएल यानी अच्छा कोलेस्ट्रॉल कहलाता है। यह धमनियों को साफ रखने में मदद करता है। स्वस्थ जीवन के लिए दोनों के बीच संतुलन बनाए रखना अत्यंत आवश्यक है। असंतुलन होने पर गंभीर बीमारियों का जोखिम कई गुना बढ़ जाता है।
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