कोरोना महामारी के बाद सबसे ज्यादा जान ले रहा टीबी, डब्ल्यूएचओ ने जारी किया रिपोर्ट
पिछले वर्ष संक्रामक रोग से हुई मौतों के सबसे बड़े कारण के रूप में कोविड-19 का स्थान तपेदिक ने ले लिया है। यह जानकारी मंगलवार को प्रकाशित विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट में सामने आई।
जिनेवा (आरएनआई) कोरोना महामारी के बाद टीबी बीमारी से होने वाले मृत्यू को लेकर डब्ल्यूएचओ ने रिपोर्ट जारी किया है। रिपोर्ट में बीमारी को खत्म करने के वैश्विक प्रयासों में चुनौतियों पर जानकारी दी गई है। डब्ल्यूएचओ के अनुसार, पिछले साल लगभग 82 लाख टीबी मरीजों का उपचार किया गया। 1995 में डब्ल्यूएचओ की ओर से वैश्विक टीबी निगरानी प्रक्रिया शुरू होने के बाद से दर्ज यह सबसे बड़ा आंकड़ा है।
इससे पहलेे 2022 में 75 लाख से अधिक टीबी मरीजों का इलाज किया गया था। इसका अर्थ है कि टीबी मरीजों के लिए उपयुक्त उपचार मौजूद है। आंकड़ों से पता चलता है कि तपेदिक उन्मूलन अभी भी दूर की कौड़ी है क्योंकि इस बीमारी के खिलाफ जंग में अभी भी तमाम चुनौतियां मौजूद हैं।
इसके साथ ही इस मामले में डब्ल्यूएचओ महानिदेशक डॉ. टेड्रोस अदनोम घेब्रियस ने कहा, रोकने, पता लगाने व इलाज के तमाम उपकरणों के होने के बावजूद टीबी अभी भी बहुत सारे लोगों को मार रहा है।
टीबी की बीमारी से 2022 में लाख और 13.2 लाख लोगों की मौत हो गई थी, जबकि 2023 में यह आंकड़ा 12.5 लाख रहा। अनुमान के अनुसार, पिछले साल 1.8 करोड़ लोग टीबी की चपेट में आए। एजेंसी ने कहा कि 2027 तक टीबी उन्मूलन के निर्धारित लक्ष्यों तक पहुंचने के लिए काफी प्रगति की जरूरत है। इस बीमारी से मरने वाले 98 प्रतिशत लोग निम्न और मध्यम आय वाले देशों के हैं। समस्या के निराकरण के लिए इन देशों को धन की भारी कमी का सामना करना पड़ता है।
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