केरल में अनधिकृत रूप से नए स्थायी या अस्थायी ध्वज-स्तंभ लगाने पर रोक, उच्च न्यायालय का बड़ा फैसला
केरल हाई कोर्ट ने एक बड़ा फैसला सुनाते हुए राज्य में अनधिकृत रूप से नए स्थायी या अस्थायी ध्वज-स्तंभ या मस्तूल लगाने पर रोक लगा दी है। वही कोर्ट ने कहा- राज्य सरकार ने इसके खिलाफ 2022 में वादा करने के बावजूद भी कोई नीति नहीं बनाई है।
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कोच्चि (आरएनआई) केरल उच्च न्यायालय ने आदेश दिया है कि राज्य के सार्वजनिक स्थानों पर सक्षम अधिकारियों से कानून के तहत अपेक्षित अनुमति के बिना किसी को भी कोई नया स्थायी या अस्थायी ध्वजस्तंभ या मस्तूल लगाने की अनुमति नहीं दी जाएगी। निर्देश जारी करते हुए, उच्च न्यायालय ने यह भी कहा कि राज्य सरकार ने 2022 में ऐसा करने का वादा करने के बावजूद अतीत में अवैध रूप से लगाए गए ध्वजस्तंभों को हटाने के लिए कोई नीति नहीं बनाई है।
मामले की सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति देवन रामचंद्रन ने कहा कि यह स्पष्ट है कि सरकार नीति बनाने के संबंध में देरी कर रही है क्योंकि सभी अवैध ध्वजस्तंभ या मस्तूल राजनीतिक दलों, ट्रेड यूनियनों समेत जैसी संस्थाओं की तरफ से लगाए गए थे। अदालत ने यह भी कहा कि सरकार ने अतीत में कई मौकों पर आश्वासन दिया था कि भविष्य में किसी भी अनधिकृत और अवैध ध्वजस्तंभ को लगाने की अनुमति नहीं दी जाएगी। न्यायमूर्ति रामचंद्रन ने 20 फरवरी को अपने आदेश में कहा, 'चूंकि सरकार ने रिकॉर्ड पर कई आदेशों के माध्यम से स्पष्ट रूप से वचन दिया है कि सक्षम अधिकारियों की तरफ से विशेष अनुमति दिए बिना राज्य के किसी भी सार्वजनिक स्थान पर कोई भी नया स्थायी ध्वज स्तंभ या मस्तूल लगाने की अनुमति नहीं दी जाएगी, इसलिए मुझे यकीन है कि इस न्यायालय को इसे दर्ज करने का अधिकार होगा।
उच्च न्यायालय ने सरकार की तरफ से अदालत में कई तारीखों पर दिए गए आश्वासनों को दर्ज करने के बाद आदेश दिया कि राज्य के किसी भी सार्वजनिक स्थान, सरकारी जमीन/ क्षेत्र या सड़क किनारे कोई भी व्यक्ति या संस्था बिना उचित अनुमति लिए कोई नया स्थायी या अस्थायी ध्वजस्तंभ/ध्वजपोल स्थापित नहीं कर सकेगा। इसके लिए संबंधित सक्षम अधिकारियों से जरूरी मंजूरी, अनुमति या छूट लेनी होगी, जो भूमि संरक्षण अधिनियम, पंचायत राज अधिनियम, नगर निगम अधिनियम आदि के तहत जरूरी हैं। इसके अलावा, अदालत ने अतिरिक्त महाधिवक्ता की तरफ से दिया गया यह आश्वासन भी दर्ज किया कि पहले से लगे अवैध ध्वजस्तंभों/ध्वजपोलों को हटाने के लिए एक नीति बनाई जा रही है, और यह काम जल्द से जल्द, लेकिन अधिकतम छह महीने के भीतर, इस आदेश की प्रति प्राप्त होने की तारीख से पूरा कर लिया जाएगा।
न्यायालय ने स्थानीय स्वशासन विभाग के सचिव को सभी स्थानीय निकायों और अन्य संबंधित संस्थाओं को एक परिपत्र जारी करने का भी निर्देश दिया, जिसमें उन्हें निर्देशों की जानकारी दी जाए और उनका अनुपालन करने का आदेश दिया जाए। न्यायालय ने कहा, 'यह इस फैसले की प्रति प्राप्त होने की तिथि से दो सप्ताह की अवधि के भीतर किया जाना चाहिए।'
कोर्ट ने स्थानीय स्वशासन विभाग के सचिव को एक कार्रवाई रिपोर्ट दाखिल करने का भी निर्देश दिया, जिसमें 'इस फैसले की प्रति मिलने की तिथि से एक महीने की अवधि के भीतर, उपरोक्त निर्देशों के अनुसार उठाए गए या पूरे किए गए कदमों के साथ परिपत्र भी शामिल हो।' इन निर्देशों के साथ अदालत ने मन्नम शुगर मिल नाम की एक कंपनी की तरफ से दायर याचिका का निपटारा भी किया, जिसमें पथानामथिट्टा जिले के पंडालम क्षेत्र में मन्नम आयुर्वेद सहकारी चिकित्सा महाविद्यालय के प्रवेश द्वार पर राजनीतिक दलों के झंडे हटाने के लिए पुलिस सुरक्षा की मांग की गई थी।
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