'केंद्र-NDMA बैंकों को पीड़ितों का ऋण माफ करने के लिए कह सकते हैं', हाईकोर्ट की टिप्पणी
पिछले साल 30 जुलाई को केरल के मुंदक्कई और चूरलमाला क्षेत्रों में एक बड़ा भूस्खलन हुआ था, जिससे दोनों क्षेत्र लगभग तबाह हो गए थे। आपदा में सैकड़ों लोग घायल हुए, 200 से अधिक लोगों की जान चली गई और 32 लोग अब भी लापता हैं। मामले में कोर्ट ने स्वत: संज्ञान लिया है।

कोच्चि (आरएनआई) वायनाड भूस्खलन पीड़ितों के ऋण माफ करने को लेकर केरल हाईकोर्ट ने अहम टिप्पणी की। कोर्ट ने कहा कि वायनाड भूस्खलन पीड़ितों का ऋण माफ करने के लिए आरबीआई बैंकों को निर्देश नहीं दे सकता है। यह काम केंद्र सरकार और राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (NDMA) कर सकते हैं।
न्यायमूर्ति ए.के. जयशंकरन नांबियार और ईश्वरन एस की पीठ ने कहा कि वह केंद्र और एनडीएमए को बैंकों से ऋण माफ करने के लिए कहने के लिए प्रेरित करने वाला आदेश पारित करेगी। पीठ ने बताया कि केरल बैंक ने आपदा पीड़ितों का ऋण माफ कर दिया थे और उस पर करीब पांच करोड़ रुपये का कर्ज था। अगर केरल बैंक ऐसा कर सकता है, तो अन्य बैंक, जिनका ऋण कम है, भी ऐसा कर सकते हैं। बस इसके लिए एनडीएमए और केंद्र सरकार की ओर से केवल थोड़ा सा दबाव डालने की जरूरत है।
पिछले सप्ताह केंद्र की ओर से केरल हाईकोर्ट में एक हलफनामा दाखिल किया गया था। इसमें कहा गया था कि आरबीआई के प्राकृतिक आपदाओं पर मास्टर निर्देशों के अनुसार वायनाड भूस्खलन पीड़ितों के ऋणों का केवल पुनर्गठन या पुनर्निर्धारण किया जा सकता है। कोर्ट ने इस हलफनामे के आधार पर टिप्पणी की।
इसके अलावा पीठ ने राज्य सरकार को मलबा हटाने सहित पर्याप्त उपाय करने के भी निर्देश दिए। ताकि पिछले साल जैसी आपदा फिर न आए। हाईकोर्ट ने कहा कि मानसून से पहले तैयारी के उपाय शुरू हो जाने चाहिए। अब बारिश शुरू हो चुकी है। एनडीएमए को इस साल किसी भी संभावित आपदा को टालने के लिए राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एसडीएमए) के साथ मिलकर काम करना चाहिए।
केरल में पिछले साल भीषण तबाही मची थी। 30 जुलाई को मुंदक्कई और चूरलमाला क्षेत्रों में एक बड़ा भूस्खलन हुआ था, जिससे दोनों क्षेत्र लगभग तबाह हो गए थे। आपदा में सैकड़ों लोग घायल हुए, 200 से अधिक लोगों की जान चली गई और 32 लोग अब भी लापता हैं।
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