केंद्र से तनातनी के बीच स्टालिन ने की राज्य के लिए अधिक स्वायत्तता की वकालत, तीन सदस्यीय समिति गठित
केंद्र सरकार से तनातनी के बीच तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने राज्य को अधिक स्वायत्तता दिए जाने की मांग की। विधानसभा को संबोधित करते हुए उन्होंने एक उच्च स्तरीय समिति गठित करने का प्रस्ताव रखा, जिसका भाजपा ने विरोध किया। भाजपा ने सीएम पर दोहरी बात करने का आरोप लगाते हुए विधानसभा से वॉकआउट कर लिया।

चेन्नई (आरएनआई) तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने मंगलवार को केंद्र सरकार पर हमला बोला। इस दौरान उन्होंने राज्य को अपने फैसले लेने के लिए अधिक स्वायत्तता देने की जोरदार वकालत की। उन्होंने विधानसभा में एक उच्च स्तरीय समिति नियुक्त करने का प्रस्ताव पेश किया। स्टालिन के प्रस्ताव पर तीन सदस्यीय समिति गठित की गई है, जो राज्य की स्वायत्तता की सिफारिश के साथ ही अधिकारों को पुन: प्राप्त करने का प्रयास करेगी।
सीएम स्टालिन ने राज्य को अधिक स्वायत्तता दिए जाने की बात ऐसे समय में की है, जब राज्यपाल आरएन रवि ने राज्य विधानसभा में पारित विभिन्न विधेयकों को मंजूरी देने से मना कर दिया। इसके चलते डीएमके के नेतृत्व वाली सरकार और राज्यपाल के बीच टकराव भी हुआ।
सिफारिश के लिए गठित की गई समिति की अध्यक्षता रिटायर्ड जज कुरियन जोसेफ करेंगे। इस समिति में अन्य दो सदस्य रिटायर्ड आईएएस अशोक वर्धन शेट्टी और एमयू नागराजन होंगे। समिति जनवरी 2026 के अंत तक राज्य को एक अंतरिम रिपोर्ट सौंपेगी और दो साल के भीतर एक पूरी रिपोर्ट पेश करेगी। समिति राज्य और केंद्र सरकार के बीच संबंधों को मजबूत करने पर भी सिफारिशें देगी।
मुख्यमंत्री स्टालिन ने मंगलवार को विधानसभा को संबोधित किया। इस दौरान उन्होंने कहा, 'नीट परीक्षा की वजह से हमने कई छात्रों को खो दिया है। हमने नीट परीक्षा का लगातार विरोध किया है। केंद्र सरकार तीन भाषा नीति के नाम पर तमिलनाडु में हिंदी थोपने की कोशिश कर रही है। चूंकि हमने एनईपी को स्वीकार नहीं किया, इसलिए केंद्र सरकार ने राज्य को 2500 करोड़ रुपये जारी नहीं किए हैं। ऐसी स्थिति में शिक्षा को राज्य सूची में लाया जाना चाहिए।'
सीएम स्टालिन के संबोधन के दौरान विपक्ष ने विधानसभा से वॉकआउट किया। विपक्ष ने आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री दोहरी भाषा बोल रहे हैं। एआईडीएमके विधायक आरबी उदयकुमार ने कहा कि सीएम के 110वें भाषण के बाद भी स्पीकर ने हमें बोलने का मौका नहीं दिया, जो लोकतंत्र के खिलाफ है। विधायक उदयकुमार ने कहा कि मुख्यमंत्री वही बात कह रहे हैं, जो उनके पिता करुणानिधि ने दशकों पहले कही थी। उन्होंने कहा कि जब केंद्र ने शिक्षा को राज्य सूची से हटाकर समवर्ती सूची में स्थानांतरित किया था, तब वे सत्ता में होने के बावजूद भी चुप थे। अब वह अपनी आवाज उठा रहे हैं।
भाजपा ने राज्य अधिकारों की रक्षा के लिए उच्च स्तरीय समिति गठित करने का भी विरोध किया। तमिलनाडु भाजपा अध्यक्ष नयनार नागेंद्रन ने कहा, 'आज मुख्यमंत्री ने राज्य को पूर्ण स्वायत्तता दिलाने के लिए अनुच्छेद 110 के तहत एक प्रस्ताव पेश किया। हम इसे स्वीकार नहीं कर सकते, भाजपा ने इसका विरोध किया और हमने विधानसभा से वॉकआउट कर दिया।'
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