केंद्र सरकार ने अदालत को बताया- यौन उत्पीड़न पर सबक सिखाना आसान
केंद्र सरकार ने शी बॉक्स को नया स्वरूप दिया। जिसके लिए केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट में तर्क दिया कि इस कदम में के बाद यौन उत्पीड़न मामले में पीड़ित आसानी से उत्पीड़ने करने वाले को सबक सिखा सकता है।
नई दिल्ली (आरएनआई) केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि 29 अगस्त, 2024 को शी-बॉक्स को नया रूप दिया है। अब इसके जरिये पीड़ित आसानी से उत्पीड़न करने वाले को सबक सिखा सकती है। इससे पहले शीर्ष अदालत ने कहा था कि कुछ निर्देश जारी किए जाने की आवश्यकता है, ताकि यौन उत्पीड़न का सामना करने वाली महिला को प्रभावी ढंग से अपनी शिकायत दर्ज कराने के लिए यह सुविधा उपलब्ध कराई जा सके। बता दें कि सरकार ने कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न से निपटने के लिए पोर्टल लॉन्च किया था जिसका नाम यौन उत्पीड़न इलेक्ट्रानिक बॉक्स (शी बॉक्स) है।
जस्टिस बीवी नागरत्ना और जस्टिस एन कोटिश्वर सिंह की पीठ ने राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण (नालसा) और अन्य को कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न का सामना करने वाली किसी भी महिला की सहायता करने और उसे सुविधा प्रदान करने का निर्देश दिया है। पीठ ने कहा कि न्याय तक पहुंच न्याय प्रदान करने जितना ही महत्वपूर्ण है। केंद्र की ओर से एडिशनल सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी ने अदालत को बताया कि यौन उत्पीड़न इलेक्ट्रॉनिक बॉक्स (शी-बॉक्स) महिलाओं के सशक्तीकरण की दिशा में एक बड़ा कदम है। इस मामले की अगली सुनवाई 3 दिसंबर को होगी। ब्यूरो
न्यायमित्र पद्मा प्रिया ने कार्यस्थल पर महिलाओं के यौन उत्पीड़न (रोकथाम, निषेध और निवारण) अधिनियम, 2013 की धारा 9 का हवाला देते हुए कहा कि यौन उत्पीड़न की शिकार महिला के लिए सीधे ‘शी-बॉक्स’ तक पहुंच पाना संभव नहीं हो सकता है।
जिसको लेकर पीठ ने विधिक सेवा प्राधिकरण को निर्देश जारी करते हुए इस बात पर जोर दिया कि कार्यस्थल पर महिलाओं के यौन उत्पीड़न (रोकथाम, निषेध और निवारण) अधिनियम, 2013 के तहत सभी संबंधित पक्षों और विशेष रूप से नियोक्ताओं, चाहे वे सरकारी, सार्वजनिक या निजी क्षेत्र में हों, का यह दायित्व और कर्तव्य है कि वे यह सुनिश्चित करें कि जहां भी आंतरिक शिकायत समितियां गठित नहीं की गई हैं, वहां उनका तत्काल गठन किया जाए।
22 अक्तूबर के आदेश में पीठ ने कहा, केंद्र के श्रम मंत्रालय और संबंधित राज्य सरकारों के श्रम विभागों को महिला एवं बाल विकास विभाग के साथ परामर्श करके केंद्र व राज्य स्तर पर यह सुनिश्चित करने के लिए कदम उठाने चाहिए कि अधिनियम के प्रावधानों का प्रभावी ढंग से क्रियान्वयन हो।
शीर्ष अदालत गोवा विश्वविद्यालय के पूर्व विभागाध्यक्ष ऑरेलियानो फर्नांडीस द्वारा यौन उत्पीड़न के आरोपों के संबंध में बॉम्बे हाईकोर्ट के आदेश के विरुद्ध दायर याचिका पर 12 मई, 2023 के अपने निर्णय के अनुपालन पर विचार कर रही थी। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र, सभी राज्य सरकारों तथा केंद्र शासित प्रदेशों को समयबद्ध तरीके से यह सत्यापित करने का निर्देश दिया था कि क्या सभी संबंधित कार्यालयों में यौन उत्पीड़न समितियों का गठन किया है।
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