मुंबई (आरएनआई) विपक्षी गठबंधन 'इंडिया' में लगातार असंतोष की खबरें आ रही हैं। इस पर उद्धव ठाकरे वाली शिवसेना ने सोमवार को कहा कि यह गठबंधन केंद्र में 'तानाशाही शासन' को हटाने के लिए बनाया गया है। राज्यों में राजनीति अलग है।
शिवसेना (यूबीटी) के मुखपत्र 'सामना' के संपादकीय में कहा गया कि इस महीने पांच राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनाव अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव के लिए एक रिहर्सल है। यह भी कहा गया है कि कांग्रेस सभी पांच चुनावी राज्यों (राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, तेलंगाना और मिजोरम) में एक प्रमुख पार्टी है।
संपादकीय में कहा गया, 'सत्ता के दुरुपयोग को रोकने और धन के अहंकार को चूर करने के लिए कांग्रेस का चुनाव जीतना बहुत जरूरी है। यह इंडिया गठबंधन के लिए महत्वपूर्ण होगा।' इसमें पार्टी ने यह भी विश्वास जताया कि इंडिया गठबंधन अगले साल लोकसभा चुनाव जीतेगा।
सामना में आगे कहा गया कि बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की चिंताएं जायज हैं। गौरतलब है, सीएम नीतीश कुमार ने पटना में पिछले सप्ताह कहा था कि 'कांग्रेस पार्टी को विपक्षी एकता से कोई मतलब नहीं है। आजकल 'इंडिया' को लेकर कोई काम नहीं हो रहा है। हम सबको एकसाथ लेकर चलते हैं। कांग्रेस पांच राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनावों में व्यस्त है। कांग्रेस पार्टी इंडिया गठबंधन पर कतई ध्यान नहीं दे रही है।'
हालांकि, सामना में कहा गया है कि भाजपा का मुकाबला करने के लिए 28 विपक्षी दलों का इंडिया गठबंधन बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले कुमार को अपनी चिंता सार्वजनिक रूप से जाहिर नहीं करनी चाहिए क्योंकि इससे सत्ताधारी लोग खुश होंगे।
कांग्रेस ने मध्य प्रदेश में समाजवादी पार्टी के साथ गठबंधन नहीं किया है और आम आदमी पार्टी अलग चुनाव लड़ रही है। ये तीनों विपक्षी भारतीय गुट के घटक दल हैं। हाल ही में, समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव ने कहा था कि कांग्रेस को उनकी पार्टी के साथ 'विश्वासघात' नहीं करना चाहिए और यह स्पष्ट करना चाहिए कि देश की सबसे पुरानी पार्टी गठबंधन चाहती है या नहीं। सामना में कहा गया, 'इंडिया गठबंधन का गठन केंद्र में तानाशाही शासन को हटाने के लिए किया गया था और हर कोई इससे सहमत है। राज्यों में राजनीति अलग होती है और राजनीतिक दलों को उसी के अनुसार फैसला लेना होता है।'
बता दें, मध्य प्रदेश में 17 नवंबर को होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए सीटों के बंटवारे पर सहमति नहीं बन पाने के बाद भारत के दो सहयोगी दलों के बीच तकरार शुरू हुई थी। वहीं, पिछले महीने राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) प्रमुख शरद पवार ने स्वीकार किया था कि कुछ राज्यों के चुनावों में संयुक्त मोर्चा बनाने को लेकर विपक्षी दलों के बीच मतभेद हैं, लेकिन यह भी महसूस किया जा रहा है कि सभी को लोकसभा चुनाव साथ मिलकर लड़ना होगा।
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