केंद्र पर बरसे राहुल गांधी, कहा- ये 'कुर्सी बचाओ बजट'; खरगे बोले- ये देश के विकास के लिए नहीं
केंद्र की मोदी सरकार के तीसरे कार्यकाल का पहला बजट पेश कर दिया गया है। वहीं इस बजट को लेकर विपक्ष की तरफ से निशाना साधा गया है। इस कड़ी में मल्लिकार्जुन खरगे और राहुल गांधी ने सरकार पर हमला बोला, राहुल गांधी ने इस बजट को 'कुर्सी बचाओ बजट' बताया है।
नई दिल्ली (आरएनआई) लोकसभा में नेता विपक्ष राहुल गांधी ने मंगलवार को केंद्रीय बजट को 'कुर्सी बचाओ बजट' की कहा और दावा किया कि यह अन्य राज्यों की कीमत पर भाजपा सहयोगियों से खोखले वादे करता है। पूर्व कांग्रेस प्रमुख ने यह भी दावा किया कि बजट 2024 के चुनावों के लिए कांग्रेस के घोषणापत्र और पिछले बजटों की कॉपी और पेस्ट वाला काम है।
सोशल मीडिया एक्स पर राहुल गांधी ने एक पोस्ट में केंद्र सरकार के बजट को ऐसे उल्लेखित किया है। कुर्सी बचाओ बजट, सहयोगियों को खुश करना: अन्य राज्यों की कीमत पर उनसे खोखले वादे, साथियों को खुश करना: आम भारतीयों को कोई राहत नहीं, लेकिन एए (अडानी-अंबानी) को लाभ, कॉपी और पेस्ट: कांग्रेस का घोषणापत्र और पिछले बजट।
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने भी केंद्रीय बजट पर निशाना साधा और कहा कि इस बजट में देश के विकास के लिए कुछ भी नहीं है। ये एक मोदी सरकार को बचाने वाला बजट है। कांग्रेस अध्यक्ष केंद्रीय बजट को नकल भी करार दिया। उन्होंने एक्स पर लिखे एक पोस्ट में कहा, मोदी सरकार का 'नकलची बजट' कांग्रेस के न्याय पत्र की भी ठीक से नकल नहीं कर सका! मोदी सरकार का बजट अपने गठबंधन सहयोगियों को ठगने के लिए आधी-अधूरी रेवड़ियां बांट रहा है ताकि एनडीए बच जाए।
मल्लिकार्जुन खरगे ने आगे कहा कि 10 साल बाद, दो करोड़ रोजगार प्रति वर्ष के नारे की मार झेल रहे युवाओं के लिए सीमित घोषणाएं की गई हैं। उन्होने कहा, किसानों के लिए सिर्फ सतही बातें की गई हैं - डेढ़ गुना एमएसपी और आय दोगुनी - सब चुनावी धोखा साबित हुआ! इस सरकार का ग्रामीण मजदूरी बढ़ाने का कोई इरादा नहीं है।
कांग्रेस पार्टी ने भी केंद्रीय बजट की आलोचना की और कहा कि यह कार्रवाई की तुलना में दिखावे पर अधिक केंद्रित है और दावा किया कि कॉपी-पेस्ट सरकार ने लोकसभा चुनावों के लिए कांग्रेस पार्टी के घोषणापत्र से बहुत कुछ उधार लिया है। विपक्षी दल ने अपने पोस्ट में दावा किया कि सरकार ने चुपचाप स्वीकार किया है कि बड़े पैमाने पर बेरोजगारी एक राष्ट्रीय संकट है, और कहा कि बजट में राजनीतिक मजबूरियां लिखी हुई हैं।
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