केंद्र ने UPS लागू होने की कोर्ट को दी जानकारी, न्यायिक अधिकारियों की पेंशन का मुद्दा सुलझने की उम्मीद
यह सुनवाई अदालत जिला न्यायपालिका के अधिकारियों और उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीशों की पेंशन के मुद्दे पर हो रही थी। वित्त मंत्रालय ने 25 जनवरी को यूपीएस को अधिसूचित किया।
नई दिल्ली (आरएनआई) केंद्र ने बुधवार को सुप्रीम कोर्ट को सूचित किया कि उसने एकीकृत पेंशन योजना (UPS) को अधिसूचित कर दिया है। इससे न्यायिक अधिकारियों की पेंशन संबंधी चिंताएं दूर हो सकती हैं। अदालत ने मामले की सुनवाई 12 सप्ताह के लिए टाल दी है।
केंद्र की ओर से अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणि और सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता पेश हुए और पीठ को एकीकृत पेंशन योजना (यूपीएस) के बारे में जानकारी दी। जस्टिस बी आर गवई और जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ ने केंद्र के वकीलों की दलीलों को सुना। पीठ ने कहा कि अटॉर्नी जनरल और सॉलिसिटर जनरल का कहना है कि एकीकृत पेंशन योजना न्यायिक अधिकारियों सहित सभी कर्मचारियों की पेंशन संबंधी चिंताओं को दूर कर सकती है। ऐसे में अदालत ने मामले को कुछ समय के लिए स्थगित कर दिया ताकि एकीकृत पेंशन योजना के असर को देखा जा सके। अदालत ने मामले की सुनवाई 12 सप्ताह के लिए टाल दी।
यह सुनवाई अदालत जिला न्यायपालिका के अधिकारियों और उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीशों की पेंशन के मुद्दे पर हो रही थी। वित्त मंत्रालय ने 25 जनवरी को यूपीएस को अधिसूचित किया। यूपीएस में सेवानिवृत्ति से पहले पिछले 12 महीनों में प्राप्त औसत मूल वेतन के 50 प्रतिशत के बराबर पेंशन देने का प्रावधान किया गया है। वित्त मंत्रालय द्वारा जारी एक गजट अधिसूचना के अनुसार यूपीएस उन केंद्रीय सरकारी कर्मचारियों पर लागू होगा, जो राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली के अंतर्गत आते हैं और यूपीएस के विकल्प को चुनते हैं। 25 जनवरी को प्रकाशित अधिसूचना के अनुसार, सेवा से हटाए जाने या बर्खास्त किए जाने या इस्तीफा देने की स्थिति में कर्मचारी यूपीएस या आश्वासन भुगतान नहीं मिलेगा। यह अधिसूचना 23 लाख सरकारी कर्मचारियों को यूपीएस और एनपीएस में से किसी एक को चुनने का विकल्प देती है।
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