कूड़े के ढेर पर दिल्ली
डॉ. समरेन्द्र पाठक
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नयी दिल्ली, 19 मार्च 2023, (आरएनआई)। देश की राजधानी दिल्ली में सफाई एवं कूड़े के ढेर लगने की समस्याएं निरंतर बढ़ती जा रही है।इस समस्या को लेकर आम जन ही नहीं अदालतें भी समय समय पर चिंता जता चुकी है,लेकिन लाख कोशिशों के बाबजूद इसका निदान नहीं हो पा रहा है।
विशेषज्ञों की माने तो सफाई कार्य तीन चरणों में संपन्न होता है।पहला रोजाना की सफाई एवं घरों से कूड़े का उठान,दूसरा महानगर में जगह जगह बनाये गए कूडा घरों से कूड़े को तीन स्थानों गाजीपुर ओखला एवं भलसवा में पहुँचाना तथा इन तीन स्थानों पर आधुनिक तकनीक से कूड़े का निस्तारण करना है,लेकिन प्रति वर्ष इस काम पर हजारों करोड़ रुपये खर्च के बाबजूद एजेंसियों के बीच बेहतर समन्वय नहीं होने के कारण सफाई एक गंभीर समस्या बन गयी है।
राजधानी में सफाई का पहला चरण नयी दिल्ली क्षेत्र में एनडीएमसी एवं बाकी हिस्से में एमसीडी के कर्मी संभालते हैं।सड़कों एवं गली मोहल्लों की सफाई से लेकर घरों से कूड़े उठाने का काम यही लोग करते हैं,किन्तु ये सफाई कर्मी अपनी विभिन्न समस्याओं की वजह से बेबस हैं।इन्हें आज भी आधुनिक संसाधन उपलव्ध नहीं है।इस वजह कितने सफाई कर्मियों की प्रतिवर्ष जान चली जाती है।
दूसरे चरण के कार्य को सम्पादित करने के लिए सरकार ने ठेके पर एजेंसियां हायर कर रखी है।इनका काम जगह जगह बने कूड़ा घरों से मलवे को उठाकर तीन निर्धारित स्थानों पर पंहुचाना है।मगर इस काम को व्यवस्तित ढंग से अंजाम नहीं दिए जाने की वजह से कूड़ा घरों के पास की स्थितियां बेहद खराब रहती है।
तीसरे चरण के कार्य को अंजाम देने में भी भारी कमी की वजह सेगाजीपुर,ओखला एवं भलस्वा नर्क बना है।इन इलाकों में कूड़े का ढेर पहाड़ का रूप ले लिया है।इन ढेरों से निकलने बाली विषैली गैस लाखों लोगों के जीवन को प्रभावित कर रखा है।आस पास न सिर्फ वायु प्रदूषित है वल्कि पानी भी प्रदूषित हो गया है।
दक्षिणी दिल्ली के ओखला में कूड़े का पहाड़ तकरीबन 50 मीटर ऊंचा है और इस वक्त यहां करीब 30 हजार मीट्रिक टन कूड़ा जमा है, जो यहां रहने वाले वाले लोगों के लिए खतरनाक बना हुआ है।इससे भी भयावह स्थिति गाजीपुर एवं भलस्वा की है।
इस समस्याओं को दूर करने के लिए जनवरी 2021 में एनजीटी में हुई सुनवाई के दौरान एमसीडी ने कूड़े का पूरी तरह निस्तारण करने की टाइमलाइन तय की थी। इसके मुताबिक ओखला साइट से दिसंबर 2021 तक 25 प्रतिशत, सितंबर 2022 तक 50 प्रतिशत और मार्च 2023 तक 100 प्रतिशत कूड़ा हटाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया, लेकिन मार्च 2022 की रिपोर्ट बताती है,कि ओखला लैंडफिल साइट से केवल 23.63 प्रतिशत कूड़े का ही निस्तारण हो पाया है।
केंद्रीय जल शक्ति मंत्रालय ने पिछले साल अपनी एक रिपोर्ट मेंकहा था,कि ये लैंडफिल साइट्स ग्राउंड वॉटर को भी जहरीला बना रहा हैं। कूड़े के पहाड़ों के आसपास के रिहाइशी इलाकों के ग्राउंड वॉटर में कैल्शियम कार्बोनेट, सल्फेट आयरन और मैग्नीशियम, क्लोराइड, नाइट्रेट,अमोनिया, फिनॉल, जिंक जैसे केमिकल्स मिले हैं, जो शरीर के लिए बेहद हानिकारक हैं।
साइंस जर्नल लैंसेट की स्टडी भी बताती है,कि लैंडफिल साइट के पास 5 किलोमीटर के दायरे में रहने वाले लोगों को अस्थमा, टीबी, डायबिटीज और डिप्रेशन की परेशानी होने का ज्यादा खतरा रहता है।
सफाई एवं कूड़े के निस्तारण की गंभीर समस्या सबसे अधिक पूर्वी दिल्ली की है।
सीलमपुर की पार्षद बेगम शकीला अफजाल ने बताया कि इस संबंध में उन्होंने कई बार निगम के शीर्ष अधिकारियों से शिकायतें की है।पहले कूड़ा उठान से निस्तारण की जिम्मेदारी निगम के कर्मियों की थी।उनके द्वारा लापरवाही बरतने पर कार्रवाई की जाती थी, लेकिन अब यह जिम्मेदारी एक निजी कंपनी के पास है।
एमसीडी से जुड़े आल म्युनिसिपल कार्पोरेशन सैनिटेशन सुपरवाइजर्स यूनियन रजि. के संस्थाक अध्यक्ष मुकेश कुमार वैध ने बताया कि सफाई कर्मियों को कोई आवश्यक उपकरण नहीं दिए जा रहे हैं।दूसरी ओर वर्ष 2019 में ठेका एक निजी कंपनी को दिए जाने से हालत सुधरने के बजाय और ख़राब हो गयी है।इस वजह से हमने इस कंपनी के खिलाफ अदालत का दरवाजा खटखटाने का निर्णय लिया है।
ए एस आई श्री कुमार ने बताया कि हमें कूडो के बारे में रोज अधिकारियों को फोटो एवं रिपोर्ट भेजने पड़ते हैं।इन हालातों की जानकारी कई बार निगम आयुक्त एवंअन्य वरिष्ठ अधिकारियों को दी गयी है।उन्होंने बताया कि सफाई कर्मियों को वर्षो से नियमित नहीं किया गया है।वे हताश हैं।हम इसके लिए आंदोलन का रास्ता भी अपना सकते हैं।ऐसी स्थिति में दिल्ली का हाल क्याहोगा?
एनडीएमसी में सफाई कर्मियों के नेता अशोक कुमार कहते हैं,कि काफी संघर्ष के बाद आर.एम. आर.कर्मियों को नियमित किया गया है।अन्य कई समस्याएं लंबित है।हमें उसे भी उठाना होगा।
वाल्मीकि समाज से जुड़े दिल्ली डेमोक्रेटिक एलांयन्स के नेता अशोक अज्ञानी कहते हैं,कि राजधानी की सफाई का जिम्मा वाल्मीकि समाज के अधीन है,लेकिन वे आदि काल से पिछड़े हैं।हम निरंतर उनके उत्थान के लिए संघर्ष कर रहे हैं।
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