कुपोषित और एनीमिक बना देते हैं पेट के कीड़े
मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. आर.के.गौतम ने बताया कि पेट के कीड़े निकालने की दवा बच्चों-किशोरों को खाली पेट नहीं खिलाई जाती है, इसके अतिरिक्त बीमार बच्चों को भी दवा नहीं खिलानी चाहिये।
डॉ. गौतम ने बताया कि पेट के कीड़े (कृमि) बच्चों और किशोरों के स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव डालते हैं। इनके पेट में रहते बच्चे पनप नहीं पाते हैं और कई तरह की बीमारियों के शिकार हो जाते हैं। बच्चों का एनीमिक और कुपोषित होने का एक बड़ा कारण पेट के कीड़े ही हैं। यह कीड़े मनुष्य की आंत में रहते हैं और जीवित रहने के लिए शरीर के जरूरी पोषक तत्व को खाते रहते हैं, इस वजह से बच्चे एनीमिया और कुपोषण के शिकार हो जाते हैं।
कार्यक्रम के नोडल अधिकारी डॉ. गोविन्द स्वर्णकार ने बताया कि जनपद के 1 से 19 वर्ष तक के लगभग 16,98571 किशोर किशोरियों को दवा का सेवन कराया जाएगा | उन्होनें बताया एक से दो वर्ष तक के बच्चों को 200 मिग्रा, यानि आधी गोली व दो से 19 वर्ष तक के बच्चों व किशोरों को 400 मिग्रा, यानि पूरी गोली खिलाई गई है। छोटे बच्चों को गोली पीसकर दी जानी है जबकि बड़े बच्चे इसे चबाकर खाए। 10 अगस्त को राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस के मौके पर जो बच्चे किसी कारणवश गोली खाने से वंचित रह गए है , उन्हें 17 अगस्त को मॉपअप राउंड आयोजित कर एल्बेंडाजॉल की गोली खिलाई जाएगी।
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