कुंभ मेला बंद इंतजामी का शिकार, फिर भी सरकार की हो रही जय-जयकार

कुंभ मेला में समस्याओं का अम्बार, जिम्मेदार आम जनता का नहीं दे रहे ध्यान

Jan 30, 2025 - 15:00
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प्रयागराज (आरएनआई) कुंभ मेला को लेकर भारी प्रचार प्रसार के चलते देश के आमजन में आया आस्था का उबाल दो दिन से लगातार दिखाई दिया। जिसका परिणाम यह हुआ कि बहुत से श्रद्धालुओं को आस्था की कीमत अपनी जान गंवा कर चुकानी पड़ी। बीती रात कुंभ मेला में उमड़ी करोड़ों की भीड़ व वीआईपी मूवमेंट की वजह से मची भगदड़ में 30 से अधिक श्रद्धालुओं की दुखद मौत हो गयी वहीं 60 लोग घायल बतायें जा रहे हैं। मेला क्षेत्र में जहां लोग पुण्य के भागीदार बनने के लिए गये बेचारे पुण्य तो नहीं कमा सके उल्टे परिजनों के खोने या मारे जाने के कारण विलाप करते दिखाई दिए। साथ ही मेला में भगदड़ के अगले दिन आग भी लग गई। जिसमें मेला क्षेत्र के सेक्टर- 22 में कई पंडाल जल गए। जहां आग लगी थी, वहां पब्लिक नहीं थी, इसलिए कोई जनहानि नहीं हुई है। इस घटना ने उप्र सरकार की बंद इतंजामी की पोल पट्टी खोलकर रख दी। घटना के बाद भीड़ नियंत्रण के लिए पूरे उत्तर प्रदेश से कुंभ मेला को आ रहे तमाम मार्गों को जाम कर दिया गया जिसका परिणाम यह हुआ कि सड़कों पर पचासों किलो मीटरों की जाम लग गयी। ठंड में लोगों को सड़कों पर बच्चों के साथ रात गुजारनी पड़ी। इतना बड़ा हादसा होने के बाद भी मेला प्राधिकरण व उप्र सरकार किसी भी रूप में सबक लेने को तैयार नहीं है। डबल इंजन की सरकार के बड़े मुखिया स्वच्छता अभियान को लेकर लाल किले की प्राचीर से स्वच्छता पर बड़ी बड़ी बाते तो कहते है। लेकिन संगम जैसे पवित्र स्थान पर गंदगी के अम्बार लग गये है। दिल्ली चुनाव में कूड़े के पहाड़ पर बढ़ी राजनीति की जा रही है। लेकिन कुंभ मेला में गंदगी का पहाड़ किसी को भी दिखाई नहीं दे रहा है। मेला में बंद इतंजामी का आलम यह है कि लोगों को पीने के पानी की भी असुविधा से जूझना पड़ रहा है। आरएनआई न्यूज की टीम ने मेला परिसर में भ्रमण कर सच्चाई जानने का प्रयास किया तो पता चला कि आमजनता के लिए बनाये शौचालयों पर लोगों ने कब्जा कर रखा है। ऐसे में आमजन को खुले में शौच के लिए जाना पड़ता है। इस परिस्थिति में महिलाओं को खासी दिक्कतो को उठाना पड़ रहा है। इस कारण मेला क्षेत्र के आसपास गंदगी के अम्बार दिखाई दे रहे हैं। इस गंदगी के बीच श्रद्धालुओं को भारी दुर्गन्ध के बीच निकलना पड रहा है। ऐसे में गंदगी के साम्राज्य के कारण लोगों में अन्य वैक्टीरियल रोग फैलने की की भी आशंका बनी हुई है। अपर्याप्त शौचालयों की उपलब्धता के चलते शौचालयों में गंदगी भरी पड़ी है। तमाम रोगो से ग्रसित लोग शौचालयों का उपयोग कर रहे हैं उन्हीं शौचालयों में स्वस्थ पुरुष, महिलाएं व बच्चे भी जा रहे हैं ऐसे में तमाम संक्रामक रोग भी लगने की सम्भावना बनी हुई है। ऐसे में देश के कोनै कोने से आये करोड़ों श्रद्धालु यदि संक्रामक रोग से ग्रसित हो गये तो देश में में कितनी बीमारी फैल सकती है। इसका अंदाजा नही लगाया जा सकता है। मेला क्षेत्र में स्वास्थ्य सुविधाओ के बड़े बडे दावे किए गये है लेकिन स्वास्थ्य सेवाओं की सच्चाई यह है कि अस्थाई अस्पतालो मे न तो दवा है न ही डाक्टर। मेला परिसर में सुरक्षा व्यवस्था भगवान भरोसे ही चल रही है। लोगों के चलते बैग काट लिए जा रहे हैं। जेबे कट रही है लेकिन सुरक्षाकर्मी केवल वीआईपी मूवमेंट की सेवा में ही लगे रहते हैं। यह अलग बात है कि भगदड़ की घटना के बाद वैकफुट आयी उप्र सरकार ने वीआईपी मूवमेंट पर रोक लगाकर मेला में वन वे व्यवस्था लागू की है। सारे वीआईपी पास रद्द कर दिये गये है। इसी के साथ मेला में आल इज वेल व्यवस्था दिखाने के लिए अपने कुछ चहेते पत्रकारों के पास छोड़कर पत्रकारों के पास भी रद्द किये जाने की ख़बरे आ रही है। मेला मे मूलभूत सुविधाओं की पड़ताल करने उतरे पत्रकारों को लगातार मेला प्राधिकरण द्वारा रोका जा रहा है। आंख में आंख डालकर सवाल पूछने वाले पत्रकारों के पास रद्द किये जा रहे हैं। मेला में वही रिपोर्ट कर सकता है जो मेला प्राधिकरण व उप्र सरकार के कहे अनुसार कवरेज करें आम जन के हितार्थ कवरेज करने वाले पत्रकारों को अधिकारियों के कोप का भाजन बनना पड़ रहा है। ओवरआल कुंभ मेला को लेकर उप्र सरकार द्वारा 7500 करोड़ खर्च कर आम जनमानस की सुविधा का ढिंढोरा पीटकर केवल वीवीआईपी लोगों को ही सुविधा उपलब्ध है बाकी आमजनता धक्के ही खाती नजर आ रही है। मेला क्षेत्र में सबसे ज्यादा चौंकाने की की बात यह है कि मेला क्षेत्र में लगे गंदगी के अम्बारो के बीच एक गाय कचरे में अपना भोजन तलाशती दिखी। सनातन और गाय पर बड़ी बड़ी बाते करने वाले राजनेताओं की गोवंशीय व्यवस्था और गो प्रेम की पोल खुद गोमाता ने मेला परिसर में खोल कर रख दी। कचड़े में भोजन तलाशती गाय को मेला प्राधिकरण के तमाम बड़े बड़े अधिकारी व मेला परिसर में लगे तमाम कैमरे, सेटेलाइट उस गाय को भी न देख पाये। ऐसे में यह सवाल उठना लाजिमी है कि उप्र में गो संरक्षण के नाम पर किये जा रहे तमाम दावों की कलई मेला परिसर घूम रही गाय अकेले ही खोलती नज़र आ रही है। फिलहाल कुंभ मेला को लेकर सरकार चाहे जितने दावे करे लेकिन कुंभ मेला 2025 बंद इंतजामी का दाग़ कभी भी धुल नहीं पाएंगे।

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