किसी भी विवाद को शांतिपूर्वक तरीके से नहीं सुलझा पा रहा संगठन
रुचिरा कंबोज ने कहा कि दुनिया कई चुनौतियों का सामना कर रही है। हमारे लिए बहुपक्षीय संस्थानों में विश्वास का पुनर्निर्माण कैसे किया जाए, इस पर ईमानदार बातचीत करना महत्वपूर्ण है।
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संयुक्त राष्ट्र, (आरएनआई) संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) की ओपन डिबेट चल रही है। इस दौरान संवाद के माध्यम से शांति कार्यक्रम आयोजित किया जा रहा है। इसमें विवादों की रोकथाम और शांतिपूर्ण समाधान के लिए क्षेत्रीय, उपक्षेत्रीय और द्विपक्षीय व्यवस्थाओं के योगदान पर चर्चा हो रही है। संयुक्त राष्ट्र में भारत की स्थायी प्रतिनिधि रुचिरा कंबोज ने भी अपनी बात रखी। इस दौरान उन्होंने पाकिस्तान पर जमकर हमला किया। साथ ही कहा कि संयुक्त राष्ट्र कोई भी विवाद शांतिपूर्वक सुलझा नहीं पा रहा है।
भारत की स्थायी प्रतिनिधि कंबोज ने कहा, ‘मैं यह कहने के लिए बाध्य हूं कि पाकिस्तान एक बार फिर सुरक्षा परिषद के अगस्त फोरम का दुरुपयोग करने पर उतर आया है। उनकी टिप्पणियां निराधार हैं और इसलिए उन्हें पूरी तरह से खारिज कर दिया गया है। केंद्र शासित प्रदेश जम्मू और कश्मीर और लद्दाख भारत का अभिन्न अंग हैं।
रुचिरा कंबोज ने कहा कि दुनिया कई चुनौतियों का सामना कर रही है। हमारे लिए बहुपक्षीय संस्थानों में विश्वास का पुनर्निर्माण कैसे किया जाए, इस पर ईमानदार बातचीत करना महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि संयुक्त राष्ट्र चार्टर किसी भी विवाद को बातचीत के माध्यम से हल करने का आह्वान करता है। हमने पहले भी कई उदाहरण देखे हैं, जहां द्विपक्षीय चर्चाएं अधिक प्रभावी रही हैं।
भारत की स्थायी प्रतिनिधि कंबोज ने कहा कि बातचीत से किसी भी समाधान का हल खोजा जा सकता है। हम संयुक्त राष्ट्र चार्टर के अनुरूप संयुक्त राष्ट्र और क्षेत्रीय व उप-क्षेत्रीय संगठनों का समर्थन करते हैं। शांति लाने के लिए इन संगठनों को क्षेत्रीय ताकतों के साथ सक्रिय रूप से संपर्क करने के लिए पुर्नविन्यास करने की आवश्यकता है। संभावित क्षेत्रीय साझेदारों के साथ-साथ राज्यों की क्षमताओं का निर्माण करना भी उतना ही महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा, ‘हमें संसाधनों और अच्छी तरह से परिभाषित जनादेशों के साथ अफ्रीकी नेतृत्व वाले शांति अभियानों का समर्थन करने की भी आवश्यकता है।
इनमें से कोई भी बात मायने नहीं रखती अगर हम कहते कि हम संयुक्त राष्ट्र के माध्यम से विवादों को शांतिपूर्ण ढंग से हल करने में असमर्थ हैं क्योंकि इसकी मुख्य निकाय को ही अप्रभावी बना दिया गया है।’ उन्होंने कहा, ‘जब तक हम व्यापक सुधार नहीं करते और इस परिषद को व्यवस्थित नहीं करते, हमें विश्वसनीयता के निरंतर संकट का सामना करना पड़ता रहेगा। इसलिए सुधार करने की आवश्यकता है। भारत का मानना है कि विश्वास के बिना एकजुटता नहीं हो सकती।
ग्लोबल साउथ के अधिकांश देश हमारे इस विश्वास से सहमत हैं कि संयुक्त राष्ट्र में सुधार अब क्यों का सवाल नहीं है, बल्कि कब और कितनी जल्दी का सवाल है। अगले वर्ष भविष्य के शिखर सम्मेलन द्वारा प्रदान किया गया अवसर हमें एक सुधारित बहुपक्षवाद की दिशा में बदलाव की ओर ले जाना चाहिए, जिसमें सुरक्षा परिषद की सदस्यता की दोनों श्रेणियों में विस्तार भी शामिल है।
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