काशी में बनेगा कश्मीर से केरल का एक पंचांग
काशी में कश्मीर से केरल तक का एक पंचांग तैयार होगा। धार्मिक राजधानी काशी के विद्वान नवंबर में पंचांग तैयार करेंगे। इसमें महाकुंभ में लोकार्पण, त्योहारों पर दो तिथियों का हल निकलेगा।
वाराणसी, (आरएनआई) धार्मिक और सांस्कृतिक राजधानी में बीएचयू देश के लिए एक पंचांग बनाएगा। इससे व्रत, तीज व त्योहारों की तिथियों पर बन रही भ्रम की स्थिति दूर होगी। यह पहल काशी विश्वनाथ मंदिर से हुई है। काशी विश्वनाथ मंदिर न्यास ट्रस्ट के अध्यक्ष प्रो. नागेंद्र पांडेय ने पंचांगों में एकरूपता के लिए नई स्मृति निर्माण कराने का निर्णय लिया है।
प्रयागराज महाकुंभ के दौरान नई स्मृति का लोकार्पण होगा। इससे एक देश-एक पंचांग का निर्माण हो जाएगा। स्मृति के निर्माण के लिए बीएचयू को केंद्र में रखा गया है। प्रो. पांडेय ने काशी के विद्वानों का आह्वान किया और कहा कि नवंबर में स्मृति निर्माण समिति की पहली बैठक होगी। इसमें धर्मशास्त्र, ज्योतिषविदों के अलावा पंचांगकारों को भी शामिल किया जाएगा। बीएचयू के ज्योतिष विभाग और वैदिक विज्ञान केंद्र में ही स्मृति निर्माण के लिए प्रस्ताव रखा जाएगा।
प्रो. पांडेय ने बताया कि प्राचीन धर्मग्रंथों, स्मृति और पुराणों को आधार बनाया जाएगा। उसकी जांच होगी, फिर सब मन बनाकर नई स्मृति के निर्माण का श्रीगणेश करेंगे। इसमें तर्कसंगत मत और परंपराओं को ही स्थान दिया जाएगा। नई स्मृति को आधार बनाकर जब पंचांग का निर्माण होगा तो कश्मीर से केरल तक तिथि, त्योहार और व्रत में भ्रम की स्थिति नहीं होगी।
इसमें पूरब से पश्चिम, उत्तर से दक्षिण तक की परंपराओं और धर्मशास्त्रों का समावेश होगा। इससे सनातन धर्म की एकजुटता के साथ ही एक भारत श्रेष्ठ भारत का सपना भी साकार होगा।
धर्म, दर्शन, आचार-व्यवहार आदि से संबंध रखने वाले प्राचीन हिंदू धर्मशास्त्र, जिनकी रचना ऋषि-मुनियों ने की थी। इसे प्राचीन हिंदू विधि संहिता भी कहा जाता है। इसके आधार पर तिथि, त्योहार और व्रत आदि का निर्धारण किया जाता है।
होली, रक्षाबंधन, जन्माष्टमी के बाद देव दीपावली की तिथि पर विवाद से लोग परेशान हैं। आरती समितियां उदया तिथि तो काशी विद्वत परिषद प्रदोषव्यापिनी तिथि का समर्थन कर रही है।उनका कहना है कि हर त्योहार दो दिन का पड़ रहा है। इससे दिक्कत होती है। काशी में परेशानी बढ़ती है। श्रद्धालु बहार से आते हैं तो क्रूज, बजड़े, नाव, होटल व वाहन की बुकिंग निरस्त करानी पड़ती है। इसका संज्ञान लेकर ही एक देश एक पंचांग बनाने का खाका तैयार किया गया है।
काशी से निकलने वाले पंचांगों में विश्व पंचांग, श्री ऋषिकेश (काशी विश्वनाथ) पंचांग, बापूदेव शास्त्री प्रवर्तित दृक्सिद्ध पंचांग, ज्ञानमंडल सौर पंचांग, श्री महावीर पंचांग, श्री गणेश आपा पंचांग, ठाकुर प्रसाद पंचांग प्रमुख हैं।
हिंदू पंचांग तीन तरह के होते हैं। इसमें पहला चंद्र आधारित, दूसरा नक्षत्र आधारित और तीसरा सूर्य आधारित कैलेंडर पद्धति है। भिन्न-भिन्न रूप में यह पूरे भारत में माना जाता है। एक साल में 12 महीने होते हैं। प्रत्येक महीने में 15 दिन के दो पक्ष होते हैं- शुक्ल और कृष्ण।
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