कर्नाटक की नींव बचाने के लिए बीजेपी ने किया 'समझौता' : बीवाई विजयेंद्र
पार्टी को इस निर्णय पर पहुंचने के लिए अपने ही उस सिद्धांत से समझौता करना पड़ा है जिसमें उसने पार्टी के अन्दर किसी भी तरह से परिवारवाद को आगे न बढ़ने देने की रणनीति अपनाई है। पार्टी ऐसा इसलिए कर रही है जिससे वह कांग्रेस, सपा और राजद सहित तमाम विपक्षी दलों पर परिवारवाद करने के आरोप लगा सके।
कर्नाटक, (आरएनआई) विपक्ष के जातिगत जनगणना के दांव से सतर्क भाजपा ने लोकसभा चुनावों को लेकर अपना एक--एक गढ़ बचाने की रणनीति बनानी शुरू कर दी है। दक्षिण के कर्नाटक का गढ़ बचाने के लिए पार्टी ने लिंगायत नेता बीएस येदियुरप्पा के बेटे विजयेंद्र येदियुरप्पा को राज्य का अध्यक्ष बना दिया है। पार्टी को उम्मीद है कि इससे कर्नाटक विधानसभा चुनावों में उससे दूर हुए लिंगायत मतदाता एक बार फिर उसकी ओर लौट आयेंगे और एक बार फिर वह 2019 का करिश्मा दोहराने में सफल रहेगी। 2019 में भाजपा राज्य की 28 सीटों में से 26 सीटों (एक समर्थित उम्मीदवार की सीट सहित) पर जीत हासिल करने में कामयाब रही थी।
पार्टी को इस निर्णय पर पहुंचने के लिए अपने ही उस सिद्धांत से समझौता करना पड़ा है जिसमें उसने पार्टी के अन्दर किसी भी तरह से परिवारवाद को आगे न बढ़ने देने की रणनीति अपनाई है। पार्टी ऐसा इसलिए कर रही है जिससे वह कांग्रेस, सपा और राजद सहित तमाम विपक्षी दलों पर परिवारवाद करने के आरोप लगा सके।
विजयेंद्र येदियुरप्पा कर्नाटक भाजपा के दिग्गज लिंगायत नेता बीएस येदियुरप्पा के पुत्र हैं। बीएस येदियुरप्पा भाजपा की सर्वोच्च शक्तिशाली संस्था के सदस्य हैं। विजयेंद्र ने पहली बार विधानसभा चुनावों में जीत हासिल की है। केवल एक बार विधानसभा चुनाव जीतकर पार्टी के अध्यक्ष पद तक पहुंचने को पिता की राजनीतिक विरासत के असर के तौर पर देखा जा सकता है। भाजपा जानती है कि इस कारण उसे विपक्ष की ओर से पार्टी के अन्दर परिवारवाद होने का आरोप झेलना पड़ सकता है। लेकिन राष्ट्रीय स्तर पर लोकसभा चुनावों पर दबाव झेल रही भाजपा को कर्नाटक में यह समझौता करना पड़ा है।
वर्ष 2019 में हुए लोकसभा चुनावों में भाजपा ने कर्नाटक में बेहद शानदार प्रदर्शन किया था। पार्टी बी.एस. येदियुरप्पा के नेतृत्व में चुनाव में उतरी थी और उसे राज्य की 28 लोकसभा सीटों में से 25 पर जीत हासिल हुई थी। उसका वोट शेयर भी बढ़कर 51.38 प्रतिशत पर पहुंच गया था। एक सीट भाजपा समर्थित एक अन्य उम्मीदवार ने जीता था। इस तरह एक तरह से भाजपा ने 26 सीटों पर जीत हासिल कर ली थी। जबकि कांग्रेस और उसकी सहयोगी जेडीएस को केवल एक-एक सीट प्राप्त हुई थी।
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