करीब आ रहे बांग्लादेश-पाकिस्तान; दोनों के कूटनीतिक-व्यापारिक रिश्ते भारत के लिए कितने चिंताजनक
बंगाल की खाड़ी में मौजूद चटगांव बंदरगाह कूटनीतिक रूप से काफी अहम है। खासकर भारत की क्षेत्रीय सुरक्षा के लिहाज से। शेख हसीना सरकार के साथ बेहतर रिश्तों के चलते इस बंदरगाह पर भारत विरोधी गतिविधियों के होने की संभावना न के बराबर रही है। अब पाकिस्तान के पोत का यहां बार-बार आना भारत के लिए चिंता का सबब है।
ढाका (आरएनआई) शेख हसीना के बांग्लादेश के प्रधानमंत्री पद से हटने के बाद से ही मोहम्मद यूनुस की अंतरिम सरकार मनमाने ढंग से शासन करने में जुटी है। कई अहम मुद्दों पर भारत को किनारे कर बांग्लादेश ने पाकिस्तान का साथ थामा है। खासकर व्यापार के सिलसिले में। इसी हफ्ते बांग्लादेश के चटगांव बंदरगाह पर पाकिस्तान के कराची से आए एक पोत ने लंगर डाल लिया। पनामा के झंडे वाला शिप एमवी युआन शांग फा झान रविवार को बांग्लादेशी जलक्षेत्र में प्रवेश किया। इसमें औद्योगिक सामान- जैसे डोलोमाइट, संगमरमर के ब्लॉक, कपड़ों से जुड़ा कच्चा सामान, शक्कर और इलेक्ट्रॉनिक उत्पाद मौजूद थे।
इससे पहले नवंबर में भी पाकिस्तान का एक पोत बांग्लादेश पहुंचा था। 1971 के बाद 53 साल में यह पहली बार था, जब पाकिस्तान और बांग्लादेश ने समुद्री व्यापार की शुरुआत की हो। पाकिस्तान के लिए यह दशकों से ठंडे पड़े रिश्तों को सुधारने का बड़ा मौका रहा, खासकर शेख हसीना के सत्ता से जाने के बाद।
चौंकाने वाली बात यह है कि बांग्लादेश में नोबेल विजेता मोहम्मद यूनुस ने पाकिस्तान से रिश्ते प्रगाढ़ करने के लिए आयात पर अनिवार्य रूप से किया जाने वाला भौतिक निरीक्षण तक बंद कर दिया है। दोनों देशों के बीच व्यापार बढ़ाने का यह समझौता बांग्लादेश के अंतरिम प्रमुख मोहम्मद यूनुस और पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ के बीच मिस्र के काहिरा में मुलाकात के दौरान हुआ।
बंगाल की खाड़ी में मौजूद चटगांव बंदरगाह कूटनीतिक रूप से काफी अहम है। खासकर भारत की क्षेत्रीय सुरक्षा के लिहाज से। शेख हसीना सरकार के साथ बेहतर रिश्तों के चलते इस बंदरगाह पर भारत विरोधी गतिविधियों के होने की संभावना न के बराबर रही है। साथ ही भारत का निगरानी तंत्र भी इस बंदरगाह पर लगातार नजर रखता रहा था। 2004 में ही भारतीय अधिकारियों ने चीनी हथियारों से भरा एक शिपमेंट को पकड़ा था, जिसे पाकिस्तान की आईएसआई ने भारत के पूर्वोत्तर में प्रतिबंधित किए गए यूनाइटेड लिबरेशन फ्रंट ऑफ असम (उल्फा) के लिए भेजने की कोशिश की थी।
अब बांग्लादेश की तरफ से पाकिस्तान से आने वाले कार्गो की भौतिक जांच की अनिवार्यता खत्म किए जाने के कदम ने भारत की चिंताओं को बढ़ा दिया है। इससे पहले सख्त व्यापार नीतियों के चलते पाकिस्तान से आने वाले शिपमेंट्स को मलयेशिया, सिंगापुर या श्रीलंका में माल उतारने के बाद बांग्लादेश लाया जाता था, जिससे भारत को इसकी करीब से निगरानी रखने में मदद मिलती थी।
भारत को अब इस बात की चिंता है कि इस तरह समुद्री मार्ग से पाकिस्तान और बांग्लादेश के बीच व्यापार बढ़ने से भारत के पूर्वोत्तर में विद्रोही संगठनों की मदद की कोशिश की जा सकती है। खासकर बांग्लादेश की तरफ से इन शिपमेंट्स की जांच न होने के बाद यह संभावना काफी बढ़ जाती है। इसके अलावा दोनों देशों (पाकिस्तान और बांग्लादेश) में भारत के खिलाफ इस्लामिक चरमपंथ को भी बढ़ावा दिया जा सकता है।
पाकिस्तान और बांग्लादेश के बीच इन बढ़ते समुद्री और व्यापारिक रिश्तों के चलते भारत की सुरक्षा चुनौतियां भी बढ़ती हैं। इसके अलावा दक्षिण एशिया में बदलते भू-राजनीतिक समीकरणों को लेकर भी भारत में चिंता जताई गई है।
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