कनाडा के नए पीएम के रूप में मार्क कार्नी ने ली शपथ
जस्टिन ट्रूडो के स्थान पर कनाडा के नए प्रधानमंत्री बने मार्क कार्नी ने राइड्यू हॉल बॉलरूम में आयोजित समारोह में अपने पद की शपथ ग्रहण की। नये प्रधानमंत्री ने फ्रेंच और अंग्रेजी दोनों भाषाओं में पद की शपथ ली। उन्होंने रविवार को लिबरल पार्टी के नेता के रूप में जीत हासिल की थी। मार्क कार्नी तब देश की बागडोर संभालने जा रहे हैं जब कनाडा कई मोर्चों पर संकटों का सामना कर रहा है। कार्नी अमेरिकी व्यापार युद्ध, विलय के खतरे और संभावित आम चुनाव के बीच अपने देश को आगे बढ़ाने का प्रयास करेंगे।

ओटावा (आरएनआई) रविवार को लिबरल पार्टी के नेता के लिए हुए चुनावों में कार्नी को कुल 131,674 वोट मिले थे, जोकि कुल मतों का लगभग 85.9% है। उन्होंने पूर्व वित्त मंत्री क्रिस्टिया फ्रीलैंड और पूर्व सरकारी सदन नेता करीना गोल्ड और पूर्व संसद सदस्य फ्रैंक बेलिस को मात दी थी। क्रिस्टिया फ्रीलैंड को 11,134 वोट मिले, करीना गोल्ड को 4,785 वोट मिले और फ्रैंक बेलिस को 4,038 वोट मिले थे।
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की टैरिफ नीति जहां एक ओर कनाडा के लिए टेंशन बना हुआ है। दूसरी ओर बीते दिनों ट्रंप के कनाडा को अमेरिका का 51वां राज्य बनाने वाला बयान भी चर्चा में रहा। इस बात पर मार्क कार्नी ने कनाडा के अगले प्रधानमंत्री के रूप में नामित होती ही इरादे साफ कर दिए थे और ट्रंप को करारा जवाब दिया।
कनाडा को अमेरिका का 51वां राज्य बनाने के ट्रंप के बयान के जवाब में कार्नी ने कहा था कि अमेरिका कनाडा नहीं है। कनाडा कभी भी किसी भी तरह, आकार या रूप में अमेरिका का हिस्सा नहीं होगा। उन्होंने ये भी कहा था कि अमेरिका कनाडा के लोगों के संसाधन, जल, जमीन और देश पर कब्जा करना चाहता है। अगर वे सफल हो गए, तो वे हमारी जीवन शैली को नष्ट कर देंगे।
मार्क कार्नी का जन्म 16 मार्च 1965 को कनाडा के उत्तर-पश्चिम में स्थित फोर्ट स्मिथ में हुआ। उनका शुरुआती जीवन अल्बर्टा राज्य के एडमंटन में बीता। मार्क के माता-पिता दोनों स्कूल में शिक्षक रहे। ऐसे में वे शुरुआत से ही पढ़ाई-लिखाई में काफी अच्छे रहे। बकौल कार्नी उनके माता-पिता ने उनमें जनसेवा के लिए प्रतिबद्धता कूट-कूटकर भरी। मार्क कार्नी ने 2004 में कनाडा के वित्त विभाग में भी काम किया। अर्थशास्त्र के क्षेत्र में प्रतिभा दिखाने के बाद उन्हें 2007 में बैंक ऑफ कनाडा का गवर्नर बनाया गया।
2007 के अंत में जब दुनियाभर में आर्थिक स्तर पर हलचल शुरू हुई तो मार्क कार्नी को आने वाले खतरों का अंदाजा हो गया था। इसके चलते उन्होंने कनाडा की मौद्रिक नीति को सख्त करना शुरू कर दिया। 2008 में जब लीमैन ब्रदर्स के दिवालिया घोषित होने के बाद पूरी दुनिया मंदी की चपेट में आ गई, तब कार्नी ने कनाडा के केंद्रीय बैंक का नेतृत्व किया। कनाडा में उनकी प्रबंधन क्षमता को इस कदर का आंका जाता था कि 2013 में बैंक ऑफ इंग्लैंड का गवर्नर बनने तक वे कनाडा के गवर्नर पद पर रहे।
मार्क कार्नी ने अर्थशास्त्र के क्षेत्र में जबरदस्त उपलब्धियां हासिल कीं। हालांकि, वे राजनीति के क्षेत्र से अंजान नहीं हैं। खुद कार्नी के मुताबिक, 2012 में कनाडा के प्रधानमंत्री स्टीफन हार्पर ने उन्हें वित्त मंत्री बनाने का प्रस्ताव दिया था। हालांकि, कार्नी ने इसे नकार दिया था। कहा जाता है कि 2013 में जब लिबरल पार्टी के नेतृत्व के लिए चुनाव हो रहे थे, तब भी कार्नी का नाम उछला था। हालांकि, उन्होंने इससे भी इनकार किया।
बीते साल सितंबर में जब कनाडा की ट्रूडो सरकार अपनी आर्थिक नीतियों को लेकर घिरी, तब पीएम ने कार्नी को लिबरल पार्टी के आर्थिक विकास की टास्क फोर्स का प्रमुख बनाया। इसके बाद जब कनाडा की वित्त मंत्री क्रिस्टिया फ्रीलैंड ने ट्रूडो कैबिनेट से इस्तीफा दिया, तब भी कार्नी के यह पद लेने की अटकलें लगी थीं।
Follow RNI News Channel on WhatsApp: https://whatsapp.com/channel/0029VaBPp7rK5cD6X
What's Your Reaction?






