ओणम के जश्न में डूबा दक्षिण भारत मंदिरों में पूजा करने पहुंचे लोग
ओणम जिसे मलयालम भाषा में थिरुवोणम भी कहते हैं। ओणम को खासतौर पर खेतों में फसल की अच्छी उपज के लिए मनाया जाता है। यह त्योहार 12 दिनों तक मनाया जाता है। मुख्य रूप से ये 10 दिन का होता है। इस वर्ष ओणम की शुरुआत 20 अगस्त से हुई है।
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तिरुवनंतपुरम। (आरएनआई) दक्षिण भारत में आज जश्न का माहौल है। 10 दिनों तक चलने वाले प्रमुख त्योहार ओणम को लेकर हर कोई उत्साहित है। लोग मंदिरों में पूजा करने के लिए पहुंच रहे हैं। तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने मलयालम में सभी को ओणम की शुभकामनाएं दीं। वहीं, पूर्व राज्यसभा सांसद और अभिनेता सुरेश गोपी ने तिरुवनंतपुरम के श्री पद्मनाभस्वामी मंदिर में ओणम समारोह का उद्घाटन किया। इनके अलावा, त्रावणकोर शाही परिवार के राजकुमार आदित्य वर्मा भी ओणम समारोह का हिस्सा बनने पहुंचे।
ओणम जिसे मलयालम भाषा में थिरुवोणम भी कहते हैं। ओणम को खासतौर पर खेतों में फसल की अच्छी उपज के लिए मनाया जाता है। ऐसा कहा जाता है कि केरल में महाबलि नाम का एक असुर राजा था। उसके आदर सत्कार में ही यह त्योहार मनाया जाता है। इसके अलावा, ये त्योहार भगवान विष्णु के वामन अवतार को भी समर्पित है।
यह त्योहार 12 दिनों तक मनाया जाता है। मुख्य रूप से ये 10 दिन का होता है। इस वर्ष ओणम की शुरुआत 20 अगस्त से हुई है और 31 अगस्त तक यह त्योहार मनाया जा रहा है। ओणम के पहले दिन को अथम और 10वें दिन को थिरुवोणम कहते हैं। ओणम के मौके पर दक्षिण भारत, विशेषकर केरल में उत्सव सा माहौल होता है। ओणम का त्योहार मनाने वाले लोग घर के आंगन में रंगोली बनाते हैं और पूजा करते हैं।
त्योहार को लेकर हर कोई उत्साह में दिख रहा है। ओणम के मौके पर भक्त कोच्चि के त्रिक्कक्कारा वामन मूर्ति मंदिर में किए जा रहे अनुष्ठानों में भाग लेने पहुंच रहे हैं। वहीं, कोच्चि में थ्रिकक्कारा वामन मूर्ति मंदिर में भी बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंचे हैं।
केरल की सांस्कृतिक राजधानी माने जाने वाले त्रिशूर में ओणम का उत्सव बहुत हर्षोल्लास से मनाया जाता है। ओणम के मौके पर पुलिकाली यानी टाइगर डांस होता है। वहीं, एर्नाकुलम में ही त्रिक्कारा मंदिर स्थित है, जहां ओणम पर विशेष समारोह का आयोजन होता है। ओणम के दौरान इस मंदिर की यात्रा केरल की समृद्ध सांस्कृतिकता के साथ ही आध्यात्मिक यात्रा का भी अनुभव कराती है। यह मंदिर भगवान विष्णु के वामन अवतार को समर्पित है। मान्यता है कि ओणम पर्व की शुरुआत भी इसी स्थान से हुई है।
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