उत्तर प्रदेश में हुआ शादी घोटाला, फर्जीवाड़े की भेंट चढ़ी कन्या विवाह योजना
जो शादीशुदा था, उसकी भी शादी हो गई। जो कुंवारा था, उसकी भी शादी हो गई। जो बाल बच्चेदार था, उसकी भी शादी हो गई। जो खुद बच्चा था, उसकी भी शादी हो गई। जो बूढ़ा था, उसकी भी शादी हो गई और तो और। जिसका जन्म भी नहीं हुआ था, उसकी भी शादी हो गई। शादी ना हुई मज़ाक हो गया।
नई दिल्ली। (आरएनआई) एक बड़ी पुरानी कहावत है कि जिसने शादी का लड्डू खाया वो भी पछताया और जिसने नहीं खाया वो पछताया। लेकिन लगता है कि यूपी सरकार के कुछ अफसरों और बाबुओं को ये कहावत पसंद नहीं आई। इसलिए उन्होंने एक नई कहावत बना डाली कि चाहे शादी हो या ना हो लेकिन शादी का पूरा लड्डू सिर्फ वही खाएंगे। कफन चोरों की तो कई कहानी।
पश्चिमी उत्तर प्रदेश में कन्या विवाह योजना को ऐसे ही सरकारी बाबुओं और दलालों की ऐसी नजर लगी कि पूरी की पूरी योजना ही फर्जीवाडे की भेंट चढ़ गई। और जो रुपये गरीब नवविवाहित जोड़ों को मिलने चाहिए थे, वो रुपये सरकारी अफसर, बाबू, बिचौलिए और फ़र्ज़ीवाड़ा करने वाले लोगों की जेब में चले गए। लेकिन भ्रष्टाचार के खिलाफ सख्ती के इतने दावों, जागरूकता अभियानों, समाजसेवियों और महकमों के बावजूद आखिर ऐसे मुमकिन कैसे हुआ।
जब गाजियाबाद और आस-पास के इलाकों के कोई दो-चार-दस नहीं बल्कि पूरे 3 हजार पांच सौ जोड़ों ने सामूहिक तौर पर फेरे लिए थे यानी शादी कर हमेशा-हमेशा के लिए एक दूसरे के हो गए। इनकी शादी के लिए महातैयारी किसी और ने नहीं बल्कि उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से खुद श्रम विभाग ने की थी।
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