शरीयत नहीं, उत्तराधिकार कानून लागू करने की मांग वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई, केंद्र और केरल को नोटिस

केरल के त्रिशूर जिले के निवासी नौशाद केके ने सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका में कहा कि वह इस्लाम को छोड़े बिना शरीयत के बजाय उत्तराधिकार कानून के तहत शासित होना चाहते हैं। कोर्ट ने याचिका पर सुनवाई करने पर सहमति जताई। साथ ही केंद्र और केरल सरकार को नोटिस जारी किया है। 

Apr 18, 2025 - 10:50
 0  270
शरीयत नहीं, उत्तराधिकार कानून लागू करने की मांग वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई, केंद्र और केरल को नोटिस

नई दिल्ली (आरएनआई) सुप्रीम कोर्ट ने एक मुस्लिम युवक की ओर से दायर शरीयत के बजाय उत्तराधिकार कानून लागू करने की मांग वाली याचिका का संज्ञान लिया है। कोर्ट ने याचिका पर सुनवाई करने पर सहमति जताई है। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और केरल सरकार को नोटिस जारी करके याचिका पर जवाब मांगा है। 

मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति संजय कुमार की पीठ ने केरल के त्रिशूर जिले के निवासी नौशाद केके की याचिका पर संज्ञान लिया। याचिका में कहा गया था कि नौशाद इस्लाम धर्म छोड़े बिना शरीयत के बजाय उत्तराधिकार कानून के तहत शासित होना चाहते हैं।

पीठ ने इस याचिका को इस मुद्दे पर लंबित समान मामलों के साथ संलग्न करने का आदेश दिया। इससे पहले पिछले वर्ष अप्रैल में पीठ ने अलप्पुझा निवासी और एक्स-मुस्लिम्स ऑफ केरल की महासचिव सफिया पीएम की याचिका पर विचार करने पर सहमति व्यक्त की थी। मुस्लिम महिला ने याचिका में कहा था कि वह इस्लाम को नहीं मानती, लेकिन अभी भी उसने आधिकारिक रूप से इस्लाम को नहीं छोड़ा है। वह चाहती है कि संविधान के अनुच्छेद 25 के तहत उसे धर्म का अधिकार मिले और साथ ही धर्म पर विश्वास न करने का भी अधिकार मिले।

2016 में कुरान सुन्नत सोसाइटी की ओर से दायर की गई इसी तरह की एक अन्य याचिका भी शीर्ष अदालत में लंबित है। अब तीनों याचिकाओं की एक साथ सुनवाई होगी। 

बढ़ रहे सड़क हादसों पर चिंता जताते हुए सुप्रीम कोर्ट ने राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को त्वरित प्रतिक्रिया प्रोटोकॉल विकसित करने के निर्देश दिए हैं। न्यायमूर्ति अभय ओका और न्यायमूर्ति उज्ज्वल भुइयां की पीठ ने सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय को ड्राइवरों के कार्य घंटे लागू करने के लिए राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के संबंधित विभागों की बैठकें बुलाने का भी निर्देश दिया।

पीठ ने कहा कि हमारे देश में सड़क दुर्घटनाएं बढ़ रही हैं। ऐसे मामले भी हैं जहां सड़क दुर्घटना के पीड़ितों को तत्काल मदद नहीं मिल पाती। कई बार पीड़ित घायल तो नहीं होते, लेकिन वाहनों में फंस जाते हैं। हमारा मानना है कि राज्य सरकारों और केंद्र शासित प्रदेशों को जमीनी स्तर पर त्वरित प्रतिक्रिया प्रोटोकॉल अपनाने पर काम करना चाहिए। शीर्ष अदालत ने राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को त्वरित प्रतिक्रिया प्रोटोकॉल विकसित करने के लिए छह महीने का समय दिया। यह आदेश अधिवक्ता किशन चंद जैन द्वारा दायर एक आवेदन पर आया। इसमें अपील की गई थी कि सड़क दुर्घटना पीड़ितों के लिए एक प्रोटोकॉल होना चाहिए।

Follow RNI News Channel on WhatsApp: https://whatsapp.com/channel/0029VaBPp7rK5cD6X

What's Your Reaction?

Like Like 0
Dislike Dislike 0
Love Love 0
Funny Funny 0
Angry Angry 0
Sad Sad 0
Wow Wow 0
RNI News Reportage News International (RNI) is India's growing news website which is an digital platform to news, ideas and content based article. Destination where you can catch latest happenings from all over the globe Enhancing the strength of journalism independent and unbiased.