ईडी की कोलकाता में कई ठिकानों पर छापेमारी
पश्चिम बंगाल में यह घोटाला राशन वितरण में सामने आया था। जांचकर्ताओं और बंगाल भाजपा नेताओं का दावा है कि यह घोटाला एक हजार करोड़ से कम का नहीं है। इनका यह भी दावा है कि यह घोटाला पिछले एक दशक से अधिक समय से चल रहा है और कोविड के वर्षों के दौरान इसमें तेजी आई है।
कोलकाता (आरएनआई) पश्चिम बंगाल के कोलकाता में प्रवर्तन निदेशालय की टीमों ने सुबह-सुबह कई ठिकानों पर छापेमारी की। बताया गया है ईडी ने यह रेड राशन घोटाला केस से जुड़े धनशोधन के मामले में डाली हैं। ईडी की टीम कोलकाता में फिलहाल आधा दर्जन जगहों पर जांच कर रही है।
केंद्र सरकार द्वारा सूचीबद्ध चावल मिलों और आटा मिलों को खरीदे गए गेहूं को पीसने के लिए भेजा जाता है और इसके बाद प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना के तहत उचित मूल्य राशन की दुकानों से लाभार्थियों को बांटा जाता है।
सरकारी वितरक मिल मालिकों से गेहूं उठाते हैं और उन्हें राशन की दुकानों में आपूर्ति करते हैं। प्रत्येक वितरक के पास संचालन का एक निश्चित क्षेत्र होता है और वे कितनी दुकानों पर अनाज वितरित कर सकते हैं इसकी संख्या भी पहले से तय होती है। वितरक मिलों से कितनी मात्रा में अनाज खरीद सकते हैं, यह भी निश्चित होता है और उनकी डिलीवरी रसीदों में इसका जिक्र किया जाता है।
यहीं से शुरू होती है कथित भ्रष्टाचार की कड़ी। आरोप है कि वितरकों ने मिल मालिकों के साथ मिलकर राशन की दुकानों में वितरण के लिए मिलों से निर्धारित मात्रा से कम मात्रा में राशन उठाया। जांच एजेंसियों का दावा है कि इससे राशन वितरण प्रणाली में 20-40 फीसदी तक का घाटा हुआ। इसके बाद बचे हुए अनाज को खुले बाजारों में बाजार दरों पर बेच दिया गया और इससे होने वाली आमदनी को सिंडिकेट के सदस्यों के बीच कमीशन के रूप में बांटा गया।
पांच जनवरी को ईडी अधिकारियों की टीम इसी मामले में छापेमारी के लिए संदेशखाली पहुंची थी। यहां जब उन्होंने संदेशखाली में टीएमसी नेता के आवास में प्रवेश करने की कोशिश की, तब भीड़ ने टीम को घेरकर उस पर हमला कर दिया। इस हमले में एजेंसी के तीन अधिकारी घायल हो गए थे। 24 जनवरी को ईडी ने घोटाले के सिलसिले में तलाशी अभियान के बाद शाहजहां शेख के आवास को सील कर दिया था।
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