इमरान और बुशरा बीबी की सजा के खिलाफ दायर याचिका कोर्ट ने स्वीकार की
आईएचसी के मुख्य न्यायाधीश आमिर फारूकऔर जस्टिस मियांगुल हसन औरंगजेब की पीठ ने दोनों अपीलों पर सुनवाई की। बैरिस्टर सैयद अली जाफर और बैरिस्टर सलमान सफदर ने साइफर मामले में इमरान खान का प्रतिनिधित्व किया।
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इस्लामाबाद (आरएनआई) इस्लामाबाद हाई कोर्ट ने साइफर और तोशाखाना मामलों में सजा के खिलाफ पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान, उनकी बीबी और पूर्व मंत्री की अपील को स्वीकार कर ली है। अदालत ने ट्रायल कोर्ट से सुनवाई की रिपोर्ट सात मार्च तक देने की मांग की है। एक विशेष अदालत ने साइफर मामले में इमरान खान और पूर्व मंत्री शाह महमूद कुरैशी को दस साल की जेल की सजा सुनाई थी। वहीं, तोशाखाना मामले में इमरान और उनकी पत्नी बुशरा बीबी को 14 साल की सजा सुनाई गई थी।
आईएचसी के मुख्य न्यायाधीश आमिर फारूकऔर जस्टिस मियांगुल हसन औरंगजेब की पीठ ने दोनों अपीलों पर सुनवाई की। बैरिस्टर सैयद अली जाफर और बैरिस्टर सलमान सफदर ने साइफर मामले में इमरान खान का प्रतिनिधित्व किया। बैरिस्टर सफदर ने साइफर मामले में पीटीआई नेताओं को दोषी ठहराने के लिए अपनाई गई कई प्रक्रियाओं में गड़बड़ी होने का दावा किया है।
पूर्व पीएम इमरान खान की गिरफ्तारी और रिमांड की सुनवाई पिछले साल 16 अगस्त को गुप्त तरीके से हुई थी। अभियोजन पक्ष ने पूरा रिकॉर्ड भी साझा नहीं किया था और न्यायाधीश ने जल्दबाजी में उन्हें दोषी ठहरा दिया। दावा किया गया कि आईएचसी की एक पीठ ने दो बार सुनवाई को रद्द कर दिया। यह भी दावा किया गया कि पूर्व पीएम और उनके कानूनी सलाहकार ने ट्रायल कोर्ट में पूरा सहयोग किया और उन्होंने अनावश्यक स्ठगन की मांग भी नहीं की, लेकिन न्यायाधीश ने निष्पक्ष सुनवाई नहीं की।
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अपने काउंसिल से बात करने की अपील की थी, जिसे ट्रायल कोर्ट खारिज कर दिया था। अपील में दावा किया गय कि इसके बाद सइफर मामले को एक गुप्त कमरे में स्थानांतरित कर दिया गया था और बहुत ही कम समय में इस मामले का निष्कर्ष निकाला गया था।
तोशाखाना मामले में बैरिस्टर जाफर ने दावा किया कि पूर्व पीएम इमरान खान और उनकी पत्नी को पूछताछ के बिना ही दोषी ठहराया गया था। हाई कोर्ट ने साइफर मामले में फेडरल इंवेस्टिगेशन एजेंसी और तोशाखाना मामले में नेशनल अकांउटबिलिटी ब्यूरो को नोटिस जारी करते हुए मामले को सात मार्च के लिए स्थगित कर दी।
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