इंद्रादि देवताओं को भी दुर्लभ है श्रीधाम वृन्दावन का वास : आचार्य रसिक वल्लभ नागार्च
(डॉ. गोपाल चतुर्वेदी)
वृन्दावन (आरएनआई) ओमेक्स सिटी स्थित गोविंदा ब्लॉक के लाड़िली कुंज में त्रिदिवसीय श्रीहित रसचर्चा महोत्सव अत्यंत श्रद्धा एवं धूमधाम के साथ चल रहा है।जिसमें व्यासपीठ से छीपी गली स्थित ठाकुर श्रीप्रिया वल्लभ मन्दिर के अंग सेवी आचार्य श्रीहित रसिक वल्लभ नागार्च ने श्रीवृन्दावन शत लीला पर प्रवचन करते हुए कहा कि वृन्दावन वास करने सौभाग्य उसी को प्राप्त होता है,जिस पर ब्रज की ठकुरानी, परम् शक्ति स्वरूपा श्रीराधा रानी की कृपा होती है।क्योंकि श्रीधाम वृन्दावन का वास इंद्रादि देवताओं को भी दुर्लभ है।वे भी यहां वास पाने के लिए लालायित रहते हैं।
आचार्य रसिक वल्लभ नागार्च ने कहा कि श्रीधाम वृन्दावन आये बिना और श्रीलाड़िली जू की कृपा पाए बिना व्यक्ति का जीवन व्यर्थ है।इसीलिए हमें इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि हम जब कभी भी श्रीधाम वृन्दावन आएं तो हमारा यह प्रयत्न होना चाहिए, कि हम सदैव यहां के संतों, वृक्षों, भक्तों एवं सहचरियों की सेवा में लगे रहें।जिससे की श्रीलाड़िलीजू की कृपा हम पर सदैव बरसती रहे।
इस अवसर पर महोत्सव के आयोजक श्रीहित रवि सोनी, श्रीमती राजकुमारी सोनी, आचार्य विष्णु मोहन नागर्च, वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. गोपाल चतुर्वेदी, आचार्य ललित वल्लभ नागार्च, आरसा सोनी, डॉ. राधाकांत शर्मा, संगीतज्ञ विष्णु पाराशर, अखिलेश दास, राम शर्मा, आचार्य हरि भूषण, पवन गोस्वामी, अभिषेक शर्मा, पुनीत तिवारी, आशीष पण्डित आदि की उपस्थिति विशेष रही।
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