आमरण अनशन पर बैठे प्रशांत किशोर की अचानक बिगड़ी तबीयत, अस्पताल में करवाए गए भर्ती
बीपीएससी परीक्षार्थियों की मांगों को पूरा कराने के लिए आमरण अनशन पर रहे प्रशांत किशोर की तबीयत मंगलवार सुबह बिगड़ गई। सुबह 10 बजे तक वह थोड़ी बातचीत कर रहे थे, लेकिन अचानक उनकी तबीयत बिगड़ने लगी।
पटना (आरएनआई) बीपीएससी अभ्यर्थियों के समर्थन में दो जनवरी से आमरण अनशन पर बैठे प्रशांत किशोर की मंगलवार सुबह तबीयत अचानक बिगड़ गई है। पटना के मेदांता अस्पताल के डाक्टरों की टीम पीके के स्वास्थ्य का जांच करने शेखपुरा हाउस पहुंची। हालत देखकर डॉक्टरों की टीम ने अस्पताल ले जाने का सुझाव दिया। इसके बाद उनके समर्थकों ने उन्हें एंबुलेंस में लेकर मेदांता अस्पताल गई। यहां उनका इलाज जारी है।
प्रशांत किशोर के समर्थकों का कहना है कि मंगलवार सुबह 10 बजे तक लोगों से बातचीत कर रहे थे। कुछ देर बाद अचानक वह अचेत हो गए। इसके बाद मुंह पर पानी के छींटें मारकर हम लोगों ने होश में लाया। फौरन डॉक्टरों को बुलाया गया। जांच के बाद डॉक्टरों ने उन्हें अस्पताल जाने की सलाह की। डिहाइड्रेशन समेत अन्य कुछ बातें समाने आईं है। जांच के बाद ही स्पष्ट हो पाएगा। डॉक्टर रविशंकर ने बताया कि आज पूरे दिन उनकी जांच की जाएगी, उनकी स्थिति अभी स्थिर है शाम तक कुछ कहा जा सकता है उन्हें क्या हुआ है। मोटे तौर पर डॉक्टर ने बताया कि ठंड में बैठे थे इसलिए तबियत बिगड़ी, सभी तरह की जांच की जाएगी फिर शाम में एक रिपोर्ट जारी किया जाएगा।
पटना के गांधी मैदान में आमरण अनशन पर बैठे प्रशांत किशोर को पटना पुलिस सोमवार सुबह करीब चार बजे गिरफ्तार कर लिया था। करीब पांच घंटे बाद उन्हें जांच के लिए फतुहा सीएचसी ले जाया गया। लेकिन, पीके ने स्वास्थ्य जांच से मना कर दिया। इसके बाद पटना पुलिस ने उन्हें सिविल कोर्ट में पेश किया। पटना पुलिस ने प्रशांत किशोर पर सरकारी काम में बाधा और बिना अनुमति धरना प्रदर्शन करने का आरोप लगाकर केस किया। कोर्ट ने केस की सुनवाई की। पीके को पीआर बॉन्ड पर जमानत दे दी। लेकिन, प्रशांत किशोर ने कहा कि किसी भी शर्त पर मुझे बेल नहीं चाहिए। कोर्ट ने स्पष्ट कहा है कि अगर बॉन्ड नहीं भरेंगे तो जेल जाना होगा। कोर्ट में प्रशांत किशोर ने कहा कि धरना प्रदर्शन करना तो हमारा मूल अधिकार है। सामाजिक कारणों के लिए हमलोग ऐसा कर सकते हैं। प्रशांत किशोर ने कोर्ट से कहा कि आप मुझे बेल दे दीजिए लेकिन शर्तों को नहीं मानूंगा। 25 हजार का निजी मुचलका भी नहीं भरूंगा। उन्हें बेउर जेल भेज भी दिया गया। लेकिन, कुछ देर बाद ही उन्हें पुलिस ने कोर्ट का आदेश संशोधित होने पर छोड़ दिया। कोर्ट ने सारी शर्तें हटा लीं। इसके सोमवार रात ही प्रशांत किशोर रिहा हो गए।
प्रशांत किशोर ने रिहाई के बाद कहा कि पुलिस मुझे बेउर जेल तो लेकर गई, लेकिन उसके पास इस तरह का आदेश नहीं था। इसलिए, यह लोग मुझे जेल के अंदर नहीं ले जा सके। कोर्ट ने मेरी रिहाई के साथ बता दिया कि सरकार या पुलिस-प्रशासन के कुछ 'हीरो' टाइप अधिकारी प्रजातांत्रिक सिस्टम को बर्बाद नहीं कर सकते। कोर्ट ने मुझे बेशर्त रिहाई देते हुए यह साफ कर दिया कि गांधी मैदान में प्रदर्शन-अनशन करना कोई गुनाह नहीं, जिसके आधार पर मुझे या मुझ जैसों को गिरफ्तार किया जा सके।
प्रशांत किशोर ने आंदोलन को जारी रखने की घोषणा की। उन्होंने कहा कि छात्रों के लिए शुरू किया गया आंदोलन तब तक जारी रहेगा जब तक उन्हें न्याय नहीं मिल जाता। उन्होंने कहा कि मेरा अनशन कल भी था, आज भी है और आगे भी चलता रहेगा। मेरा अनशन तब तक खत्म नहीं होगा जब तक बच्चों के साथ पूरी तरह न्याय नहीं हो जाता। पीके ने कहा कि मामला गांधी मैदान से शुरू हुआ तो अब मामला ख़त्म भी मैदान में ही होगा। इस मामले को अब वहीं निपटाया जाएगा। उन्होंने कहा कि यह प्रशांत किशोर की बात नहीं है, बल्कि बिहार के युवाओं की जिद है। नीतीश कुमार की जिद और बिहार के युवाओं के जिद की लड़ाई है। जीतेगा तो बिहार का युवा ही। यह बात यहां के अफसर भी जान लें और भाजपा की सरकार भी जान ले।
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