'आप आरोपी को हिरासत में रख दंडित कर रहे'; छत्तीसगढ़ शराब घोटाला केस में सरकार के रवैये पर अदालत
सुप्रीम कोर्ट ने छत्तीसगढ़ में हुए कथित 2,000 करोड़ रुपये के शराब घोटाले में दो जमानत याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए राज्य सरकार की खिंचाई की। अदालत ने कहा कि तीन आरोपपत्र दाखिल किए गए हैं। इसके बावजूद भी जांच जारी है। अदालत ने सरकार से पूछा कि वह आरोपी को कब तक जेल में रखेगी।

नई दिल्ली (आरएनआई) सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को छत्तीसगढ़ में हुए कथित 2,000 करोड़ रुपये के शराब घोटाले में दो जमानत याचिकाओं पर सुनवाई की। इस दौरान अदालत ने राज्य सरकार की खिंचाई की। अदालत ने सरकार से पूछा कि वह आरोपी को कब तक जेल में रखेगी।
जस्टिस अभय एस ओका और उज्जल भुइयां की पीठ ने कहा कि मामले में तीन आरोपपत्र दाखिल किए जा चुके हैं, लेकिन जांच अभी भी जारी है। पीठ ने मौखिक रूप से टिप्पणी करते हुए कहा, 'जांच अपनी गति से चलेगी। यह अनंत काल तक चलती रहेगी। तीन आरोपपत्र दाखिल किए गए हैं। आप व्यक्ति को हिरासत में रखकर उसे वास्तव में दंडित कर रहे हैं। आपने प्रक्रिया को सजा बना दिया है। यह कोई आतंकवादी या तिहरे हत्याकांड का मामला नहीं है।'
राज्य की ओर से पेश वरिष्ठ वकील महेश जेठमलानी ने जमानत याचिकाओं का विरोध किया। उन्होंने कहा कि आरोपी का मामले में अन्य आरोपियों से आमना-सामना कराया जाना चाहिए। वहीं, आरोपियों की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता सिद्धार्थ अग्रवाल ने दलील दी कि मामले में तीन आरोपपत्र दाखिल किए जा चुके हैं और आरोप तय किए जाने बाकी हैं। अग्रवाल ने कहा, 'मेरे मुवक्किल को तीन लोगों के साथ गिरफ्तार किया गया था। छह लोगों को जमानत दी जा चुकी है, जिनमें लोक सेवक भी शामिल हैं। 457 गवाह हैं, और जांच अभी भी जारी है।'
सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता- अरविंद सिंह और अमित सिंह को पूर्व आबकारी मंत्री कवासी लखमा से आमना-सामना कराने की अनुमति दी। इस मामले की अगली सुनवाई 9 मई को होगी।
प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने आरोप लगाया है कि यह घोटाला राज्य सरकार के बड़े अफसरों, निजी लोगों और नेताओं के एक गिरोह ने मिलकर किया था। इस घोटाले में 2019 से 2022 के बीच 2,000 करोड़ रुपये से अधिक की अवैध कमाई की गई। मनी लॉन्ड्रिंग का मामला दिल्ली की एक अदालत में दाखिल 2022 के आयकर विभाग के आरोपपत्र के आधार पर बना है।
ईडी ने आरोप लगाया कि राज्य में शराब बनाने वालों से रिश्वत ली गई, ताकि उन्हें शराब बेचने के विशेष अधिकार मिल जाएं। इसके अलावा, देशी शराब को ऑफ-द-बुक बेचा जा रहा था। संघीय जांच एजेंसी के अनुसार, यह सब एक गिरोह बनाकर किया गया, ताकि बाजार पर कब्जा किया जा सके।
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