सुलतानपुर: 'आद्या प्रसाद सिंह प्रदीप ने लोक साहित्य को संजोकर हिन्दी का उपकार किया है' : डॉ.एम.पी.सिंह

कवि प्रदीप के जन्मदिन पर सम्मानित हुईं आठ विभूतियां।

Aug 5, 2024 - 19:31
Aug 5, 2024 - 19:32
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सुलतानपुर: 'आद्या प्रसाद सिंह प्रदीप ने लोक साहित्य को संजोकर हिन्दी का उपकार किया है' : डॉ.एम.पी.सिंह

सुलतानपुर (आरएनआई) 'लोक साहित्य में किया गया डॉ.आद्या प्रसाद सिंह प्रदीप का काम ऐतिहासिक है । वे अवधी के जीवित इतिहास हैं। उन्होंने लोक साहित्य को संजोकर हिंदी का उपकार किया है। वे सच्चे अर्थों में लोक भूषण हैं।' यह बातें वरिष्ठ भाजपा नेता , साहित्यकार व राणा प्रताप स्नातकोत्तर महाविद्यालय के पूर्व समाजशास्त्र विभागाध्यक्ष डॉ.एम.पी.सिंह ने कहीं। 

वे रणवीर राजकुमार इंटर कालेज बरवारीपुर में साहित्य कला संस्कृति सम्वर्द्धन न्यास द्वारा आयोजित लोक भूषण डॉ आद्या प्रसाद सिंह प्रदीप के अस्सीवें जन्मदिन पर आयोजित संगोष्ठी व सम्मान समारोह को बतौर मुख्य अतिथि सम्बोधित कर रहे थे

विशिष्ट अतिथि कथा समवेत के सम्पादक डॉ.शोभनाथ शुक्ल ने कहा कि लोकभाषा को सरल और सहज बनाकर पाठकों के सामने प्रस्तुत करना कवि प्रदीप की विशेषता है।

पूर्व प्राचार्य हनुमान सिंह अभिषेक ने कहा कि अवध की साहित्यिक परम्परा बिना प्रदीप के पूरी नहीं होती ।

समारोह की अध्यक्षता करते हुए प्रोफेसर रामहित त्रिपाठी ने कहा कि अस्सी साल की उम्र में एक सौ साठ से अधिक कृतियों की रचना करने वाला साहित्यकार हिंदी में दूसरा नहीं है। इसलिए आद्या प्रसाद सिंह प्रदीप अद्वितीय साहित्यकार हैं । 

सत्यनाथ मठ के पीठाधीश्वर कपाली बाबा ने कहा कि प्रदीप अवधी साहित्य के एक युग हैं। अवधी का इतिहास इनके बिना अधूरा है।

इंद्रजीत सिंह अर्चक ने आद्या प्रसाद सिंह प्रदीप के व्यक्तित्व व कृतित्व पर व्यापक चर्चा की ।

 सरस्वती वंदना राजबहादुर राना , स्वागत डॉ.सुशील कुमार पाण्डेय साहित्येन्दु , संचालन वरिष्ठ साहित्यकार मथुरा प्रसाद सिंह जटायु व आभार ज्ञापन न्यास के सचिव पवन कुमार सिंह ने किया।

इस अवसर पर डॉ.करुणेश भट्ट, ज्ञानेन्द्र विक्रम सिंह रवि, अवनीश त्रिपाठी, सर्वेश कांत वर्मा , डॉ ओंकारनाथ द्विवेदी आदि ने भी अपने विचार रखे।

हर गोविंद सिंह, दिनेश प्रताप सिंह चित्रेश , हरि प्रसाद शुक्ल, राममूर्ति यादव, नरेन्द्र शुक्ल , प्रधानाचार्य सुभाष चंद्र यादव परदेशी , अंचल , इंदु , श्रीश आदि उपस्थित रहे।

इन्हें मिला सम्मान 

 समारोह में प्रतापगढ़ के साहित्यकार कुंजबिहारी लाल मौर्य काका श्री को राम नरेश त्रिपाठी स्मृति लोक साहित्य रत्न सम्मान, वरिष्ठ साहित्यकार मथुरा प्रसाद सिंह जटायु को डॉ.जयसिंह व्यथित स्मृति अवधी साहित्य रत्न सम्मान , कहानीकार सुरेश चन्द्र शर्मा को मान बहादुर सिंह स्मृति कथा साहित्य रत्न सम्मान , राम लखन प्रजापति लखन प्रतापगढ़ी को रामानुज त्रिपाठी स्मृति बाल साहित्य रत्न सम्मान, अशोक पाण्डेय अनहद को त्रिलोचन शास्त्री स्मृति काव्य साहित्य रत्न सम्मान, कांति सिंह को धनंजय सिंह एडवोकेट शिक्षा रत्न सम्मान , प्रसिद्ध सर्जन डॉ.ए.के.सिंह को धरती के भगवान चिकित्सा रत्न सम्मान तथा प्रयागराज के वरिष्ठ पत्रकार भगवान प्रसाद उपाध्याय को रामकृष्ण जायसवाल स्मृति पत्रकारिता रत्न सम्मान प्रदान किया गया। मंचस्थ अतिथियों ने सभी को अंगवस्त्र, सम्मान पत्र, स्मृति चिन्ह व पुष्पमाला देकर सम्मानित किया।

दो सत्रों में होने वाले इस समारोह में पवन कुमार सिंह द्वारा रचित महाकाव्य श्रीबनादासचरित का लोकार्पण किया गया । इस कृति पर सुरेश चंद्र शर्मा ने अपने विचार रखे। लखन प्रतापगढ़ी के बाल पहेली संग्रह बूझो तो जाने पर प्रयागराज के डॉ.अमरनाथ सिंह का वक्तव्य हुआ। साथ ही 'कवि प्रदीप जीवन एवं साहित्य' विषय पर परिचर्चा हुई ।

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