आतिशी और केजरीवाल की याचिका पर भाजपा नेता को सुप्रीम कोर्ट का नोटिस
सुप्रीम कोर्ट ने संबंधित प्राधिकरण को कोर्ट के आदेश के उल्लंघन पर नोटिस जारी कर जवाब भी मांगा है। सुप्रीम कोर्ट ने बीती 17 सितंबर को अपने एक आदेश में कहा था कि सुप्रीम कोर्ट की बिना पूर्व अनुमति के देशभर में कहीं भी बुलडोजर से तोड़फोड़ नहीं होगी।
नई दिल्ली (आरएनआई) सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को दिल्ली सरकार और भाजपा नेता राजीव बब्बर से दिल्ली की मुख्यमंत्री आतिशी और आप नेता अरविंद केजरीवाल की याचिका पर जवाब मांगा, जिसमें उनके खिलाफ मानहानि का मामला रद्द करने से इनकार करने वाले उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती दी गई है।
न्यायमूर्ति ऋषिकेश रॉय और न्यायमूर्ति एसवीएन भट्टी की पीठ ने मामले में नोटिस जारी किया और ट्रायल कोर्ट में कार्यवाही पर रोक लगा दी। आतिशी और केजरीवाल की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक सिंघवी ने कहा कि मानहानि का मामला राजीव बब्बर ने भाजपा दिल्ली के अधिकृत प्रतिनिधि के रूप में दायर किया है। उन्होंने कहा, भाजपा, न तो केंद्र और न ही दिल्ली ने कोई शिकायत दर्ज कराई है। राजीव बब्बर वह व्यक्ति नहीं हैं, जिनकी मैंने कथित तौर पर मानहानि की है। वहीं राजीव बब्बर की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता सोनिया माथुर ने कहा कि भाजपा नेता ने पार्टी की ओर से मामला दायर किया है।
आतिशी और केजरीवाल दोनों ने दिल्ली उच्च न्यायालय के 2 सितंबर के आदेश को चुनौती दी है, जिसने मतदाताओं के नाम कथित रूप से हटाने के बारे में उनकी टिप्पणियों पर उनके और अन्य आप नेताओं के खिलाफ कार्यवाही को रद्द करने से इनकार कर दिया था, जिसमें कहा गया था कि आरोपों ने प्रथम दृष्टया भाजपा की प्रतिष्ठा को कम किया है। उच्च न्यायालय ने कहा था कि आरोप प्रथम दृष्टया भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को बदनाम करने और अनुचित राजनीतिक लाभ हासिल करने के इरादे से मानहानि करने वाले थे।
कोर्ट ने आतिशी, केजरीवाल और दो अन्य - आम आदमी पार्टी (आप) के पूर्व राज्यसभा सदस्य सुशील कुमार गुप्ता और पार्टी नेता मनोज कुमार - की याचिका को खारिज कर दिया था, जिसमें निचली अदालत के समक्ष लंबित मानहानि की कार्यवाही को चुनौती दी गई थी।
सुप्रीम कोर्ट ने असम के सोनापुर में बुलडोजर कार्रवाई पर रोक लगाते हुए यथास्थिति बरकरार रखने का निर्देश दिया है। साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने संबंधित प्राधिकरण को कोर्ट के आदेश के उल्लंघन पर नोटिस जारी कर जवाब भी मांगा है। गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने बीती 17 सितंबर को अपने एक आदेश में कहा था कि सुप्रीम कोर्ट की बिना पूर्व अनुमति के देशभर में कहीं भी बुलडोजर से तोड़फोड़ नहीं होगी।
कुछ दिन पहले असम के कामरूप जिले के सोनापुर में सरकार ने 347 एकड़ से ज्यादा जमीन से अतिक्रमण हटाने के लिए अधिकारियों को कार्रवाई के निर्देश दिए थे। इसके बाद अधिकारियों ने बुलडोजर से कथित अवैध मकानों को तोड़ना शुरू कर दिया। यह तोड़फोड़ अभियान हिंसक हो गया और उस दौरान पुलिस की गोलीबारी में कुछ लोगों की मौत हो गई। अब उस घटना के बाद सरकार ने इलाके में फिर से कथित अवैध अतिक्रमण हटाने का अभियान शुरू किया है, लेकिन सरकार के इस कदम के खिलाफ याचिकाकर्ता हुजैफा अहमदी ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की, जिसमें कहा गया कि असम सरकार द्वारा सुप्रीम कोर्ट के आदेश का उल्लंघन किया जा रहा है। याचिका पर सुनवाई करते हुए जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस केवी विश्वनाथन की पीठ ने असम सरकार को नोटिस जारी कर यथास्थिति कायम रखने का आदेश दिया है। साथ ही उसके 17 सितंबर के आदेश का उल्लंघन करने पर जवाब मांगा है।
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