आचार्यश्री की याद में आज फिर रो पड़ा सागर: हर आंख में आंसु, गले रुंधे, फिर सुधा गुरु भी दो मिनट ही बोले
सागर (आरएनआई) आचार्यश्री की याद आते ही आज हर आंख एक बार फिर नम हो गयी। एक पल के लिये लगा कि सागर कहीं आंसुओं में बह न जाए, जो लोग विशाल पाण्डाल में बैठे थे उनकी बात तो छोड़ो, जो लोग टीवी पर प्रसारण देख रहे थे वह भी सिसक उठे। आमजन की बात तो दूर त्यागी व्रती, महाव्रती भी अपने प्राण प्रिय की याद में भावविह्ल हो गये। यह दृश्य उस समय बना जब रविवार 22 दिसंबर को जगतपूज्य मुनिश्री सुधासागर जी महाराज पिच्छिका परिवर्तन चल रहा था और कार्यक्रम की भावभीनी प्रस्तुति दे रही अशोकनगर के युवाओं की टीम में से शैलेंद्र श्रंगार ने आचार्यश्री के नाम का राग छेड़ दिया। उन्होंने आचार्यश्री की समाधि के समय का हू ब हू दृश्य उकेर दिया। डेढ़ घंटे का वृहद प्रवचन करने वाले मुनिश्री सुधासागर जी महाराज इस दृश्य के बाद महज दो मिनट ही बोल सके और उन्होंने कहा कि अब और न बोल पाऊंगा, गला रुंध रहा है, मुनिश्री ने कहा कि मुझे आज तक यह विश्वास नहीं हो पा रहा है कि आचार्यश्री चले गये, ऐसा लगता है कि वह यहीं हैं और हमारा विहार चल रहा है।
मुनिश्री सुधासागर जी महाराज का पिच्छिका अद्भुत धर्म प्रभावना के साथ होता है इसलिये हजारॊं की संख्या में देश दुनिया से लोग सागत के तीन बत्ती चौराहे पर बने विशाल पाण्डाल में जुटे थे। इस अवसर पर सभी आर्यिका माताओं के साथ क्षुल्लक महाराजों का भी पिच्छिका परिवर्तन हुआ। इस भव्य कार्यक्रम को अशोकनगर जैन समाज के युवाओं की टीम ने अंजाम दिया, युवाओं की यह टीम हर साल अलग व एक नयी थीम पर पिच्छिका परिवर्तन कार्यक्रम आयोजित करती है।
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