आकाश गंगा में मिला हाइपरवेलोसिटी ऑब्जेक्ट दूसरी दुनिया में जा रहा, इसकी रफ्तार 447 किमी प्रति सेकंड
नासा के वैज्ञानिकों के मुताबिक, हाइपरवेलोसिटी का द्रव्यमान किसी छोटे तारे के खत्म होने बराबर है। इसके कोर में हाइड्रोजन भी नहीं है। इसलिए इसे भूरा बौना तारा भी नहीं कहा जा सकता है।
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वाशिंगटन (आरएनआई) हमारी आकाशगंगा में मिला हाइपरवेलोसिटी ऑब्जेक्ट अब बेहद तेज गति से अंतरिक्ष की दूसरी दुनिया में जा रहा है। लाल और पीले रंग के एक गोले की तरह दिखने वाला धुंधला से ऑब्जेक्ट हर सेकंड 447 किलोमीटर से ज्यादा की दूरी तय कर रहा है। खास बात यह है कि यह बादलों के पूरे एक झुंड के साथ यात्रा कर रहा है।
हाइपरवेलोसिटी को नासा के सिटिजन साइंटिस्ट ने खोजा है। यह नासा के बैकयार्ड वर्ल्ड्सः प्लैनेट 9 प्रोजेक्ट का हिस्सा है। इसके तहत वो लोग जो विज्ञान की दुनिया से जुड़ना चाहते हैं, वो नासा से जुड़ते हैं और अंतरिक्ष में चीजें खोजते हैं। बैकयार्ड वर्ल्ड में नासा के वाइस मिशन की तस्वीरों का अध्ययन करते हैं। इसने पूरे अंतरिक्ष में साल 2009 से लेकर 2011 तक इंफ्रारेड नक्शा बनाया है। इस मिशन को फिर से नियोवाइस के नाम से शुरू किया गया।
वैज्ञानिकों के मुताबिक, हाइपरवेलोसिटी का द्रव्यमान किसी छोटे तारे के खत्म होने बराबर है। इसके कोर में हाइड्रोजन भी नहीं है। इसलिए इसे भूरा बौना तारा भी नहीं कहा जा सकता है।
बैकयार्ड प्रोजेक्ट के 9 वॉलंटियर्स ने मिलकर 4000 से ज्यादा भूरे बौने तारे खोजे थे। अनुमान लगाया जा सकता है कि ये हमारी आकाशगंगा के निर्माण के समय का बना हो सकता है, जो इतनी तेज गति से यात्रा कर रहा है। इसमें अन्य तारों की तुलना में अन्य धातु भी कम हैं। यह भी माना जा सकता है कि ये किसी सुपरनोवा के फटने के बाद निकला हुआ सफेद बौना तारा है। जो सुपरनोवा से बहुत ज्यादा पदार्थ लेकर बाहर आया।
कुछ साल पहले बैकयार्ड वर्ल्ड के सिटिजन साइंटिस्ट मार्टिन काबातनिक, थॉमस पी. बिकल और डैन केसेलडेन ने तेजी से भाग रहे हाइपरवेलोसिटी की खोज की थी। इसका नाम सीड्ब्ल्यूआईसीई जे124909.08+362116.0 रखा गया। इसके बाद धरती पर मौजूद टेलीस्कोप के जरिये इसकी जांच शुरू की गई। काबातनिक ने कहा कि जब यह खोजा गया तब हमारी जिज्ञासा अलग स्तर पर थी। लेकिन अब यह हमारी आकाशगंगा को छोड़कर जा रहा है। इसका मास बहुत कम है।
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