अवैध गिरफ्तारियों के बढ़ते मामलों से अदालतें खफा, जांच एजेंसियों की साख पर सवाल
हाल ही में अवैध गिरफ्तारी के मामलों में इजाफा हुआ है। अदालतें लगातार इस पर नाराजगी भी जाहिर कर रही हैं। इन अवैध गिरफ्तारियों से जांच एजेंसियों की साख पर सवाल खड़े होने लगे हैं। आइए जानते हैं कुछ ऐसे मामले जिसमें गिरफ्तारी पर जांच एजेंसी को कोर्ट से झटका लगा और ऐसा क्यों हो रहा?
मुंबई (आरएनआई) हाल ही में अवैध गिरफ्तारी के मामलों में इजाफा हुआ है। अदालतें लगातार इस पर नाराजगी भी जाहिर कर रही हैं। इन अवैध गिरफ्तारियों से जांच एजेंसियों की साख पर सवाल खड़े होने लगे हैं। कभी केस डायरी को ठीक न रखने तो कभी आरोपी को गिरफ्तारी का आधार न बताने पर कोर्ट ने जांच एजेंसियों को फटकारा। कभी भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता के प्रावधानों का पालन न करने और गिरफ्तारी के 24 घंटे के भीतर आरोपी को अदालत में पेश नहीं करने पर एजेंसियों को कोर्ट से झटका लगा। बीते छह महीनों में ही तमाम ऐसे मामले सामने आए जहां अदालतों ने ईडी, सीबीआई और स्थानीय पुलिस की रिमांड याचिकाओं को दिमाग का इस्तेमाल किए बिना की गई गिरफ्तारी का मामला बताकर खारिज किया। साथ ही आरोपियों को रिहा करने का आदेश दिया।
दिसंबर 2024 में सीबीआई ने रिश्वतखोरी के एक मामले में दो आईआरएस अधिकारियों सहित छह लोगों को गिरफ्तार किया था। लेकिन सीबीआई की विशेष अदालत ने उनकी गिरफ्तारी को अवैध मानते हुए आरोपियों की सीबीआई हिरासत से इनकार कर दिया और उन्हें तुरंत रिहा करने का आदेश दिया। इस मामले में पाया गया कि केस डायरी में कागजों की ढीली शीट थीं। बॉम्बे हाईकोर्ट के आदेश के अनुसार यह कानून का उल्लंघन है। अदालत ने कहा कि जांच अधिकारी का इस पर ध्यान देना जरूरी है कि केस के सभी कागजात ठीक से रखे जाएं।
एक अन्य रिश्वत मामले में अदालत ने ईडी अधिकारी की ट्रांजिट रिमांड देने से सीबीआई को इनकार कर दिया था। कोर्ट ने पाया था कि सीबीआई रिश्वत मामले में गिरफ्तार किए गए ईडी अधिकारी विशाल दीप की केस डायरी पेश नहीं कर सकी। अदालत ने गिरफ्तारी को अवैध ठहराते हुए इसे गंभीर चूक माना। साथ ही ट्रांजिट रिमांड देने से इनकार कर दिया।
पिछले साल मनी लॉड्रिंग मामले में गिरफ्तार किए गए आरोपी व्यवसायी पुरुषोत्तम मंधाना को भी कोर्ट ने रिहा करने का आदेश दिया। यहां ईडी ने यह गलती की थी कि वह 70 वर्षीय व्यवसायी को दोषी बताने वाले दस्तावेज पेश करने में फेल रही। कोर्ट ने कहा था कि आरोपी को गिरफ्तार करने के कारण का कोई दस्तावेज अब तक नहीं मिला है। इसकी प्रति भी आरोपी को मुहैया नहीं कराई गई। कोर्ट ने आरोपी की गिरफ्तारी को अवैध मानते हुए आरोपी को रिहा करने का आदेश दिया था।
जांच एजेंसियों के साथ ही पुलिस भी अवैध गिरफ्तारियों के मामले में कोर्ट की नाराजगी झेल चुकी है। एक मजिस्ट्रेट अदालत ने नक्सलवाद पर मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के हालिया भाषण का एक छेड़छाड़ किया हुआ वीडियो ऑनलाइन पोस्ट करने के आरोपी व्यक्ति को रिहा करने का आदेश दिया था। इसके साथ एक मजिस्ट्रेट न्यायालय ने दुष्कर्म के आरोपी फिल्म निर्माता गुणवंत जैन की गिरफ्तारी को भी अवैध घोषित कर दिया था। क्योंकि अदालत ने पाया कि गिरफ्तारी के चार मिनट बाद आरोपी को बताया गया था कि उसे क्यों गिरफ्तार किया जा रहा? हालांकि बाद में सत्र न्यायालय ने आरोपी को पुलिस के सामने आत्मसमर्पण करने का आदेश दिया।
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