अल्पसंख्यकों को निशाना बनाए जाने पर भड़का हिंदू-अमेरिकी समूह, बांग्लादेश के खिलाफ प्रतिबंध की मांग की

बांग्लादेश में इस हफ्ते हालात तब और बिगड़ गए जब हिंदू आध्यात्मिक नेता चिन्मय कृष्ण दास को राजद्रोह के मामले में गिरफ्तार कर जेल भेज दिया। इसके बाद से ही लगातार तनाव जारी है।

Nov 28, 2024 - 09:10
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अल्पसंख्यकों को निशाना बनाए जाने पर भड़का हिंदू-अमेरिकी समूह, बांग्लादेश के खिलाफ प्रतिबंध की मांग की

वॉशिंगटन (आरएनआई) बांग्लादेश में लगातार हिंदुओं को निशाना बनाया जा रहा। उपद्रवी कभी मंदिरों तो कभी उनके घरों को नुकसान पहुंचा रहे हैं। हाल ही में हिंदुओं के जाने-माने नेता चिन्मय कृष्ण दास को भी गिरफ्तार कर लिया गया। गिरफ्तारी के बाद से यहां लगातार तनाव जारी है। अब ढाका में अल्पसंख्यकों को निशाना बनाए जाने पर अमेरिका में भी गुस्सा भड़क गया है। यहां कई हिंदू-अमेरिकी समूहों ने मांग की है कि दक्षिण एशियाई देश के लिए अमेरिकी सहायता इस शर्त पर निर्भर होनी चाहिए कि वहां की सरकार इन आबादियों की सुरक्षा के लिए ठोस कार्रवाई करे।

बांग्लादेश में कई महीनों से तनाव का माहौल है। हालात ऐसे हो गए कि इस साल पांच अगस्त को शेख हसीना को पीएम पद से इस्तीफा देना पड़ा और देश छोड़कर भागना पड़ा। इसके बाद भी हिंदुओं भी इस हिंसा की चपेट में आने लगे। अक्तूबर के महीने में चटगांव में हजारों बांग्लादेशी हिंदुओं ने अपने अधिकार और सुरक्षा की मांग को लेकर सड़कों पर प्रदर्शन किया था। यहां 17 करोड़ की आबादी का केवल आठ प्रतिशत हिंदू हैं। पांच अगस्त से अबतक 50 जिलों में 200 से अधिक हमले हो चुके हैं। 

इस हफ्ते हालात तब और बिगड़ गए जब हिंदू आध्यात्मिक नेता चिन्मय कृष्ण दास को राजद्रोह के मामले में गिरफ्तार किया गया। बाद में एक अदालत ने उन्हें जमानत देने से इनकार कर दिया और जेल भेज दिया। इससे राजधानी ढाका और बंदरगाह शहर चटगांव सहित विभिन्न स्थानों पर समुदाय के सदस्यों ने विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया। बता दें, दास इंटरनेशनल सोसाइटी फॉर कृष्णा कॉन्शियसनेस (इस्कॉन) के सदस्य थे और उन्हें हाल ही में निष्कासित कर दिया गया था। 

विश्व हिंदू परिषद अमेरिका (वीएचपीए) के अध्यक्ष अजय शाह ने कहा कि दास की गिरफ्तारी, चटगांव के काली मंदिर में तोड़फोड़ और पूरे बांग्लादेश में हिंदुओं पर बढ़ते हमलों की खबरें परेशान करने वाली हैं। उन्होंने पूछा, 'क्या यह मानवाधिकार की विरासत है, जिसके लिए बाइडन प्रशासन याद किया जाना चाहता है।'

विहिप के महासचिव अमिताभ मित्तल ने कहा, 'बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों के खिलाफ चल रहे अत्याचारों के बारे में वैश्विक मीडिया की चुप्पी चौंकाने वाली है। इस्कॉन के एक पुजारी की हालिया गिरफ्तारी और हिंदू मंदिरों पर हिंसक हमले धार्मिक असहिष्णुता में खतरनाक वृद्धि को दर्शात हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि ये घटनाएं भेदभाव का एक बड़ा पैटर्न है।

उन्होंने आगे कहा, 'अंतरराष्ट्रीय निंदा की कमी केवल अपराधियों को बढ़ावा देती है और बांग्लादेश में अल्पसंख्यक समुदायों की सुरक्षा और स्वतंत्रता को खतरा पैदा करती है।

नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को लिखे एक खुले पत्र में 'हिंदूज फॉर अमेरिका फर्स्ट' (एचएफएएफ) ने बांग्लादेश में बीजिंग की महत्वाकांक्षाओं से जुड़ी परियोजनाओं के लिए अमेरिकी वित्तपोषण रोकने और अमेरिका एवं उसके सहयोगियों को सीधे तौर पर लाभ पहुंचाने वाली पहलों को प्राथमिकता देने की सिफारिश की है।

एचएफएएफ के संस्थापक और अध्यक्ष उत्सव संदूजा ने कहा, 'बांग्लादेश में हिंदू, बौद्ध और ईसाई समुदायों ने व्यवस्थित हिंसा और भेदभाव का सामना किया है। हम विनम्रतापूर्वक अनुरोध करते हैं कि आपका प्रशासन बांग्लादेशी सरकार पर अमेरिकी सहायता को निर्भर करता है जो इन आबादी की रक्षा के लिए कार्रवाई कर रही है। करदाताओं को कभी भी उन सरकारों का समर्थन नहीं करना चाहिए जो अपने सबसे कमजोर नागरिकों की रक्षा करने में नाकाम रहते हैं।'

उन्होंने दावा किया कि कुछ बांग्लादेशी अधिकारियों के जमात-ए-इस्लामी और हिफाजत-ए-इस्लाम जैसे चरमपंथी समूहों से संबंध हैं और ये संबंध अमेरिकी सुरक्षा के लिए खतरा हैं। संदूजा ने अपने पत्र में कहा, 'हम सम्मानपूर्वक वीजा प्रतिबंधों और सख्त निगरानी की सिफारिश करते हैं ताकि इन विचारधाराओं को अमेरिकी धरती पर पैर जमाने से रोका जा सके।

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