अमेरिकी राष्ट्रपति से सांसदों ने की मांग, कहा- एक चीन नीति को छोड़ें और स्वतंत्र ताइवान को दें मान्यता
प्रस्ताव में राष्ट्रपति ट्रंप से कहा गया है कि वे पुरानी एक चीन नीति को छोड़ें और ताइवान को स्वतंत्र देश मानने वाली नीति पर काम करें। इस नीति में यह माना जाए कि ताइवान चीन क्षेत्र का हिस्सा नहीं है और न ही इसे चीन द्वारा शासित किया जाता है। प्रस्ताव में कहा गया कि ट्रंप को लोकतांत्रिक रूप से चुनी गई ताइवान सरकार को मान्यता देनी चाहिए।
![अमेरिकी राष्ट्रपति से सांसदों ने की मांग, कहा- एक चीन नीति को छोड़ें और स्वतंत्र ताइवान को दें मान्यता](https://www.rni.news/uploads/images/202502/image_870x_67a745db314d6.jpg)
ताइपे (आरएनआई) अमेरिकी सांसदों ने राष्ट्रपति ट्रंप से एक चीन नीति को छोड़ने और ताइवान समझौते पर वापस लौटने की मांग की है। विस्कॉन्सिन से अमेरिकी प्रतिनिधि टॉम टिफनी और पेंसिल्वेनिया से स्कॉट पेरी ने एक प्रस्ताव पेश किया है। इसमें अमेरिका से एक चीन नीति को समाप्त करने, ताइवान के साथ औपचारिक राजनयिक संबंधों को फिर से शुरू करने और अमेरिका-ताइवान द्विपक्षीय व्यापार समझौते पर बातचीत शुरू करने की मांग की गई।
इस प्रस्ताव को सबसे पहले 2021 में लाया गया था। अब 22 रिपब्लिकन सांसदों ने इस प्रस्ताव का समर्थन किया है। प्रस्ताव में राष्ट्रपति ट्रंप से कहा गया है कि वे पुरानी एक चीन नीति को छोड़ें और ताइवान को स्वतंत्र देश मानने वाली नीति पर काम करें। इस नीति में यह माना जाए कि ताइवान चीन क्षेत्र का हिस्सा नहीं है और न ही इसे चीन द्वारा शासित किया जाता है। प्रस्ताव में कहा गया कि ट्रंप को लोकतांत्रिक रूप से चुनी गई ताइवान सरकार को मान्यता देनी चाहिए। साथ ही यहां पर आधिकारिक रूप से अमेरिकी राजदूत की नियुक्ति करनी चाहिए। इसके अलावा अमेरिका में भी ताइवान के राजदूत को मान्यता दी जानी चाहिए।
प्रस्ताव में अमेरिकी प्रतिनिधियों ने संयुक्त राष्ट्र और अन्य अधिकारियों से संयुक्त राष्ट्र और अन्य अंतरराष्ट्रीय संगठनों में ताइवान का समर्थन करने की मांग की गई है। प्रस्ताव में ताइवान की लोकतांत्रिक प्रतिबद्धता, नागरिक कर्तव्य और मानवाधिकारों के पालन की प्रशंसा की गई है। इस प्रस्ताव में कई पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति जिमी कार्टर, रोनाल्ड रीगन और बिल क्लिंटन का भी जिक्र है।
प्रस्ताव में कहा गया है कि अमेरिका के 1979 तक ताइवान की सरकार के साथ सामान्य राजनयिक संबंध थे, लेकिन तत्कालीन राष्ट्रपति जिम्मी कार्टर ने ताइपे के साथ औपचारिक संबंध अचानक समाप्त कर दिए और चीन में साम्यवादी शासन को मान्यता दी। इसके बाद रीगन ने संबंधों को मजबूत किया, लेकिन अमेरिका ने ताइवान पर संप्रभुता को लेकर अपने विचार नहीं बदले। प्रस्ताव में पूर्व राष्ट्रपति बिल क्लिंटन के बयान का भी जिक्र है। जिसमें उन्होंने कहा था कि बीजिंग और ताइवान के बीच मुद़्दों को शांतिपूर्वक और ताइवान के लोगों की सहमति से हल किया जाना चाहिए।
दोनों रिपब्लिकन सांसद टॉम टिफनी और स्कॉट पेरी पहले भी ताइवान के साथ संबंध मजबूत करने पर जोर दे चुके हैं। 2021 में प्रतिनिधि सभा में उन्होंने बाइडन प्रशासन से अंतरराष्ट्रीय संगठनों में ताइवान की सदस्यता को समर्थन देने और अमेरिका एवं ताइवान के बीच मुक्त व्यापार समझौता करने के लिए ताइपे के साथ वार्ता करने की अपील की थी।
Follow RNI News Channel on WhatsApp: https://whatsapp.com/channel/0029VaBPp7rK5cD6X
What's Your Reaction?
![like](https://www.rni.news/assets/img/reactions/like.png)
![dislike](https://www.rni.news/assets/img/reactions/dislike.png)
![love](https://www.rni.news/assets/img/reactions/love.png)
![funny](https://www.rni.news/assets/img/reactions/funny.png)
![angry](https://www.rni.news/assets/img/reactions/angry.png)
![sad](https://www.rni.news/assets/img/reactions/sad.png)
![wow](https://www.rni.news/assets/img/reactions/wow.png)