अमेरिका में बढ़ते संक्रामक रोग को लेकर अलर्ट
कोरोना के जारी खतरों के बीच यूएसए के कई शहरों में एक और गंभीर संक्रमण के मामले रिपोर्ट किए जा रहे हैं, जिसने विशेषज्ञों की चिंता बढ़ा दी है। इसे कोरोना से भी ज्यादा घातक और अधिक मृत्युदर वाला बताया जाता है।
वाशिंगटन (आरएनआई) दुनिया के कई देशों में पिछले चार साल से जारी कोरोना महामारी अब भी पूरी तरह से खत्म नहीं हुई है। समय-समय पर वायरस के नए स्ट्रेन के कारण अचानक से मामलों के बढ़ने की खबरें सामने आती रहती हैं। स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं, भले ही कोरोना के संक्रमण की स्थिति अभी काफी कंट्रोल में दिख रही है पर इसका जोखिम बना हुआ है, इसलिए जरूरी है कि हम सभी लगातार इस संक्रामक रोग के जोखिमों को लेकर सावधानी बरतते रहें।
इस बीच कोरोना के जारी खतरों के बीच यूएसए के कई शहरों में एक और गंभीर संक्रमण के मामले रिपोर्ट किए जा रहे हैं, जिसने विशेषज्ञों की चिंता बढ़ा दी है। इसे कोरोना से भी ज्यादा घातक और अधिक मृत्युदर वाला बताया जाता है।
यूएस सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (सीडीसी) ने हालिया स्वास्थ्य अलर्ट में कहा कि कई शहरों में निसेरिया मेनिंगिटिडिस बैक्टीरिया के कारण गंभीर रोग और अस्पतालों में भीड़ बढ़ने की सूचना मिली है। ये जीवाणु संक्रमण मेनिंगोकोकल नामक रोग का कारण बनता है। 30-60 वर्ष की आयु के लोगों में इसका खतरा अधिक हो सकता है। मेनिंगोकोकल डिजीज मस्तिष्क, रीढ़ की हड्डी और रक्त को प्रभावित करती है और इसका मृत्युदर भी अधिक देखा जाता रहा है।
सीडीसी द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, पिछले साल संयुक्त राज्य अमेरिका में मेनिंगोकोकल रोग के 422 मामले दर्ज किए गए थे, जो 2014 के बाद से सबसे अधिक संख्या थी। इस हफ्ते तक ही यूएस में संक्रमण के 143 मामले रिपोर्ट किए जा चुके हैं। वहीं इस वर्ष अब तक, पिछले वर्ष की इसी अवधि के दौरान दर्ज किए गए मामलों से करीब 60 केस अधिक देखे गए हैं।
स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं, यह बीमारी बेहद खतरनाक है। रोगियों में से 10 से 15 प्रतिशत की मृत्यु हो जाती है। सभी लोगों को इस गंभीर संक्रामक रोग के बारे में सावधानी बरतते रहने की आवश्यकता है।
विशेषज्ञ कहते हैं, मेनिंगोकोकल रोग की स्थिति में बैक्टीरिया रक्त को संक्रमित कर सकते हैं। इसके कारण शरीर में कई प्रकार की गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं के विकसित होने का भी खतरा रहता है। बैक्टीरिया श्वसन और गले के स्राव के माध्यम से एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में फैल सकता है। आमतौर पर चुंबन, खांसने-छींकने या संक्रमित लोगों के साथ निकट संपर्क में रहने वालों में इसका जोखिम अधिक देखा जाता रहा है।
सीडीसी ने कहा कि इसके शुरुआती लक्षण अलग-अलग संक्रमणों जैसे दिख सकते हैं, हालांकि इसके गंभीर रूप लेने का खतरा रहता है इसलिए रोगी को तत्काल उपचार की आवश्यकता होती है।
मेनिंगोकोकल रोग के लक्षण काफी तेजी से बिगड़ते जाते हैं इसीलिए स्वास्थ्य विशेषज्ञ इसके समय पर उपचार पर जोर देते हैं। संक्रमण की स्थिति में बुखार-सिरदर्द के साथ गर्दन में अकड़न, तेज रोशनी से परेशान होने, मितली-उल्टी या दस्त की समस्या देखी जाती रही है। लक्षण बढ़ने के साथ रोगियों को भूख न लगने, जोड़ों-मांसपेशियों में दर्द, चलने-खड़े होने में परेशानी की भी दिक्कत हो सकती है।
मेनिंगोकोकल रोग का इलाज एंटीबायोटिक दवाओं से किया जाता है। जितनी जल्दी हो सके इलाज शुरू करना बहुत महत्वपूर्ण है। हालांकि आंकड़ों से पता चलता है कि एंटीबायोटिक दवाओं से उपचार के बाद भी इसकी मृत्युदर अधिक है। इसके अलावा जीवित रहने वाले 20% लोगों में दीर्घकालिक परिणाम जैसे बहरापन, तंत्रिकाओं में क्षति, किडनी की क्षति या मस्तिष्क से संबंधित गंभीर रोग हो सकते हैं।
स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं, संक्रमण से बचाव के लिए वैक्सीनेशन कराना और संक्रमित व्यक्ति से दूरी बनाकर रखना बचाव के लिए आवश्यक माना जाता है।
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