अमरनाथ मंदिर के विषय में जानते है वास्तु शास्त्री डॉ सुमित्रा से
सेलिब्रिटी वास्तु शास्त्री डॉ सुमित्रा अग्रवाल, यूट्यूब वास्तु सुमित्रा
![अमरनाथ मंदिर के विषय में जानते है वास्तु शास्त्री डॉ सुमित्रा से](https://www.rni.news/uploads/images/202307/image_870x_64c28850128fa.jpg)
अमरनाथ का जिक्र लिंग पुराण में भी किया गया है। पांचवी शताब्दी में लिखा गया लिंग पुराण जिसके १२ वीं अध्याय के १५१ वे श्लोक में भगवान शिव के ज्योतिर्लिंग की स्तुति में अमरेश्वर का उल्लेख किया गया है। अमरनाथ को अमरेश्वर महादेव कहकर भी संबोधित किया जाता है।
इसके अलावा १२ वीं शताब्दी में लिखी गई राज तरंगिणी ग्रंथ जो कि कल्हण द्वारा रचित है उसमें भी २६७ में श्लोक में भगवान शिव के इस ज्योतिर्लिंग को अमरेश्वर का कर उनके अस्तित्व का साक्ष दिया गया है।
गडरिए की कहानी को लेकर कुछ लोगों का यह भी मत है कि इस अमरनाथ के शिवलिंग की खोज सबसे पहले एक मुस्लिम गडरिया ने १६ वीं शताब्दी में की थी लेकिन यह मत बिल्कुल भी प्रमाणित नहीं है क्योंकि १६ वीं शताब्दी के दौरान बिना उचित मार्ग से इतनी ज्यादा ऊंचाई पर बिना अक्सीजन के चढ़ना कोई साधारण बात नहीं है और वह भी कोई गडरिया अपनी बकरियां चराने के लिए इतनी ऊंचाई पर नहीं जाएगा।
लेकिन जम्मू-कश्मीर के राजस्थानी इतिहासकार मानते हैं कि अमरनाथ मंदिर की गुफा की खोज १८६९ की ग्रीष्म ऋतु में की गई जिसके बाद इस गुफा में औपचारिक यात्रा के लिए १८६९ के ३ साल बाद १८७२ में कुछ श्रद्धालुओं ने यह यात्रा शुरू की।
एक अंग्रेजी पुस्तक जिसका नाम वैली आफ कश्मीर है जो कि एक लारेंस नाम के अंग्रेज द्वारा लिखी गई है उसका यह मानना है कि कश्मीरी ब्राह्मण अमरनाथ की तीर्थ यात्रा करने आए श्रद्धालुओं को अमरनाथ गुफा की यात्रा कराते थे लेकिन बाद में यह जिम्मेदारी वटुकुट के मलिकों ने संभाल ली।
यह मलिक लोग गाइड की तरह तीर्थयात्रियों को गुफा की यात्रा कराते हैं वृद्ध और बीमार व्यक्तियों की देखरेख करते हैं यही कारण है कि आज भी एक चौथाई चढ़ावा मुसलमानों के वंशजों को मिलता है।
दरअसल १४ शताब्दी के लेकर लगभग ३०० वर्षों तक विदेशी इस्लामी आक्रांता द्वारा लगातार कश्मीर पर आक्रमण किए जा रहे थे जिसके कारण वहां के हिंदुओं को इस स्थान से मजबूरन पलायन करना पड़ा। और परिणाम स्वरूप दिया हुआ कि लगभग ३०० वर्षों के लिए अमरनाथ की यात्रा बिल्कुल बाधित रही हालांकि १८ वीं शताब्दी में यह यात्रा फिर से शुरू हो गई।
वर्ष १९९१ से लेकर १९९५ तक एक बार फिर से अमरनाथ की यात्रा को स्थगित कर दिया गया था क्योंकि उस समय अमरनाथ यात्रियों पर आतंकी हमले की गुंजाइश बहुत ज्यादा बढ़ गई थी इन आतंकी हमलों के डर से इन ४ वर्षों के लिए अमरनाथ की यात्रा को स्थगित कर दिया गया।
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