अनेकानेक सद्गुणों की खान थे संत शिरोमणि श्रीपाद बाबा महाराज
वृन्दावन।मोतीझील स्थित श्रीराधा उपासना कुंज में ब्रज अकादमी के तत्वावधान में चल रहे प्रख्यात संत श्रीपाद बाबा महाराज के 26वें त्रिदिवसीय समाराधन महोत्सव में दूसरे दिन प्रातः घमंड देवाचार्य पीठाधीश्वर स्वामी रूपकिशोर दास महाराज की मुखियायी में समाज गायन किया गया।सायं संत-विद्वत सम्मेलन का आयोजन सम्पन्न हुआ।जिसमें अपने उद्गार व्यक्त करते हुए श्रीराधा उपासना कुंज के महंत बाबा संतदास महाराज व ब्रज अकादमी की सचिव साध्वी डॉ. राकेश हरिप्रिया ने कहा कि ब्रज वैदेही संत शिरोमणि श्रीपाद बाबा महाराज सहजता, सरलता, उदारता एवं परोपकारिता के मूर्तिमान स्वरूप थे।उन्होंने अपनी साधना व तपोबल से असंख्य व्यक्तियों का कल्याण कर भक्ति मार्ग से जोड़ा।
महोत्सव के समन्वयक डॉ. गोपाल चतुर्वेदी व पंडित बिहारीलाल वशिष्ठ ने कहा कि ब्रज अकादमी के संस्थापक पूज्य श्रीपाद बाबा महाराज संत समाज के गौरव थे।उन जैसी पुण्यात्माओं से ही पृथ्वी पर धर्म व अध्यात्म का अस्तित्व है।हम सभी ने भगवान को कहां देखा है।केवल श्रीपाद बाबा महाराज जैसी दिव्य विभूति ही हमें पृथ्वी पर प्रभु सत्ता का आभास कराती हैं।
अखंडानंद आश्रम के संत स्वामी महेशानंद सरस्वती व निंबार्क कोट के महंत वृन्दावनदास महाराज ने कहा कि श्रीपाद बाबा महाराज समन्वयवादी व निस्पृह संत थे।वह ब्रज संस्कृति के संरक्षण, उन्नयन व पुनरोत्थान के लिए पूर्ण समर्पित व दृढ़ संकल्पित थे।हम सभी को उनके बताए मार्ग पर चलकर प्रभु की भक्ति करनी चाहिए।साथ ही लोक कल्याण में हाथ बटाना चाहिए।
आचार्य कुटी के संत भानुदेवाचार्य महाराज व ब्रज अकादमी के निदेशक डॉ. बी.बी. माहेश्वरी ने कहा कि पूज्य संत श्रीपाद बाबा महाराज अनेकनेक सद्गुणों की खान थे।यदि हम उनके किसी एक गुण को भी अपने जीवन में धारण कर लें तो हमारा कल्याण हो सकता है।वे गौसेवा, संत सेवा, निर्धन-निराश्रित आदि की सेवा में सदैव अग्रणीय रहते थे।उन्होंने संत रहते हुए भी समाजसेवा व लोक कल्याण के अनेकानेक कार्य किए।
इस अवसर पर प्रमुख शिक्षाविद् डॉ. चंद्रप्रकाश शर्मा,संत सेवानंद ब्रह्मचारी, आचार्य नेत्रपाल शास्त्री, युवा साहित्यकार डॉ. राधाकांत शर्मा, राखी सक्सैना (मुम्बई), महंत मधुमंगल शरण शुक्ल, डॉ. रामदत्त मिश्र,श्यामजी महाराज आदि ने भी अपने विचार व्यक्त किए।संचालन डॉ. गोपाल चतुर्वेदी ने किया।रात्रि को प्रख्यात रासाचार्य स्वामी भुवनेश्वर वशिष्ठ के निर्देशन में रासलीला का अत्यंत नयनाभिराम व चित्ताकर्षक मंचन किया गया।
महोत्सव में अश्वनी माथुर,जीतू पाण्डेय, विमला देवड़ा,श्रीमती पिंकी माथुर, राजेश कुमार, शशिबाला, लक्ष्मण माहेश्वरी आदि की उपस्थिति विशेष रही।
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