अदाणी मुद्दे पर इंडिया गठबंधन में दरार!: कांग्रेस के प्रदर्शन से नदारद दिखी एसपी-टीएमसी
संसद के शीतकालीन सत्र के सातवें दिन अदाणी मामले पर विपक्ष ने लोकसभा से वॉकआउट किया। उसके बाद संसद परिसर में विरोध प्रदर्शन करने लगे। इस प्रदर्शन में इससे समाजवादी पार्टी और तृणमूल कांग्रेस नजर नहीं आई।
नई दिल्ली (आरएनआई) संसद के शीतकालीन सत्र के सातवें दिन मंगलवार को भी हंगामा जारी रहा। अदाणी मामले पर विपक्ष ने लोकसभा से वॉकआउट किया। उसके बाद संसद परिसर में विरोध प्रदर्शन करने लगे। विपक्षी दलों के सांसदों के हाथ में 'मोदी-अदाणी एक हैं' और 'भारत अदाणी के खिलाफ जवाबदेही की मांग करता है', लिखी तख्तियां दिख रही थीं। इस प्रदर्शन में लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी, सांसद प्रियंका गांधी शामिल हुए। हालांकि, इससे समाजवादी पार्टी (एसपी) और तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) ने दूरी बना ली है। ऐसे में सरकार के खिलाफ विपक्ष बिखरता नजर आया। इस दूरी ने एक बार फिर इंडिया गठबंधन में आई दरार को सामने ला दिया।
कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने कहा कि हम मोदी सरकार की नीतियों के खिलाफ विरोध कर रहे हैं। हम सदन के अंदर प्रदर्शन नहीं कर सकते इसलिए हमने संसद परिसर में विरोध किया है।
टीएमसी के न शामिल होने पर कहा उन्होंने, 'हमारे बीच अबतक और मामलों में सही समन्वय चल रहा है। उनको पता है बंगाल में हम लोग एक साथ नहीं है। इसलिए शायद वह इस विषय पर भी अलग हैं। संसद में किस विषय पर बात होगी यह सरकार तय करेगी। मगर विपक्ष और कोई रास्ता निकाल लेगा अपने विषयों पर बात करने का।'
25 नवंबर से शुरू हुए संसद के शीतकालीन सत्र में लगातार गतिरोध बना हुआ है। कांग्रेस पार्टी का पूरा फोकस अदाणी मामले को लेकर है, लेकिन समाजवादी पार्टी संभल हिंसा पर चर्चा की मांग कर रही है। इससे पहले सोमवार को संसद की कार्यवाही से पहले इंडिया ब्लॉक के नेताओं की मुलाकात राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खरगे से हुई थी, जिसमें राहुल गांधी तो शामिल हुए थे, लेकिन टीएमसी का कोई सांसद नहीं पहुंचा था।
तृणमूल कांग्रेस चाहती है कि सदन में मंहगाई, बेरोजगारी, किसान, उर्वरक, विपक्षी राज्यों को मिलने वाले पैसे में कटौती और मणिपुर जैसे मुद्दों को लेकर चर्चा हो। वहीं कांग्रेस चाहती है कि अदाणी मुद्दे पर ही चर्चा हो। कांग्रेस के रूख से सपा भी किनारा करती दिख रही है। वहीं अन्य विपक्षी दल भी चाहते हैं कि किसान, संभल और मणिपुर जैसे मुद्दों पर भी चर्चा हो। यानि विपक्षी दलों में टीएमसी का रुख साफ है कि संसद में सभी मुद्दों पर चर्चा हो, कमोबेश ऐसा ही कुछ समाजवादी पार्टी भी चाहती है।
सपा सांसदों ने आज लोकसभा अध्यक्ष से मुलाकात की और संभल मुद्दे पर चर्चा का अनुरोध किया। सपा नेताओं के अनुसार अदाणी का मुद्दा संभल जितना बड़ा नहीं है। सपा सांसद धर्मेंद्र यादव ने कहा कि हमारे लिए अदाणी से बड़ा मुद्दा किसान हैं। यानि कांग्रेस भले ही अदाणी की रट लगाए बैठी हो, मगर विपक्ष के कई दल और भी मुद्दों पर बहस करना चाहते हैं।
सपा की सांसद इकरा हसन ने कहा, 'अदाणी मुद्दे पर चर्चा महत्वपूर्ण है। हालांकि, चूंकि पांच लोगों की मौत हो गई है, इसलिए संभल समाजवादी पार्टी के लिए सर्वोच्च प्राथमिकता वाला मुद्दा बन गया है।'
इस बीच कांग्रेस नेता रेणुका चौधरी के एक बयान पर विवाद हो गया है। चौधरी ने कहा, 'हमारी तरफ से कोशिश है कि सदन की कार्यवाही सुचारू ढंग से चले क्योंकि जनता ने हमें चुनकर संसद भेजा है और वे चाहते हैं कि हम उनकी आवाज को यहां बुलंद करें।अगर सरकार सदन चलाना चाह रही है तो चलेगा, अगर वह नहीं चलाना चाह रही है तो नहीं चलेगा। सब समझते है कि ये षडयंत्र क्या है।'
चौधरी ने कहा कि सदन चलाना हमारी जिम्मेदारी नहीं है बल्कि कुर्सी पर बैठे लोगों की जिम्मेदारी है। अगर वे लायक हैं तो चलाएंगे, नालायक हैं तो नहीं चलाएंगे।
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