अदबी बज़्म की काव्य गोष्ठी में कवि कुंतल को श्रद्धांजलि
आईने को हाथों से छूटना ज़रूरी है... टूटता है दिल कैसे तजुर्बा ज़रूरी है
गुना। ख्याति प्राप्त साहित्यिक संस्था अजबी बज़्म ने गुना के प्रसिद्ध शायर, गीतकार और साहित्यकारों की मौजूदगी में एक कार्यक्रम आयोजित किया। कार्यक्रम में काव्यपाठ किया गया। साथ ही शहर के जाने-माने शायर रामभरोसे सोनी कुंतल के निधन पर श्रद्धांजलि दी गई।
अदबी बज़्म की ओर से आयोजित किए गए काव्य पाठ के दौरान सबसे पहले साहित्यिक संस्था के आगामी कार्यक्रमों पर चर्चा हुई। पदाधिकारियों ने निर्णय लिया कि आगामी कार्यक्रम गुना के ही मॉडर्न चिल्ड्रन स्कूल में रखा जाएगा, जिसमें शहर के साहित्यकार बड़ी संख्या में मौजूद रहकर काव्य पाठ करेंगे। गोष्ठी का आयोजन वरिष्ठ साहित्यकार नूरुल हसन नूर के मार्गदर्शन में रखा गया। साहित्यिक संस्था के सदस्यों ने काव्य पाठ किया। जाने-माने साहित्यकार हरकांत अर्पित ने कहाकि आईने को हाथों से छूटना जरूरी है, टूटता है दिल कैसे तर्जुबा जरूरी है। क्या किसी के ऐबों पर तफ्सरा जरूरी है, पहले अपने बारे में सोचना जरूरी है। खलील रजा ने बेहतरीन शायरी पढ़ते हुए कहाकि हाथों को पतवार बनाना सीख गए, हम कागज की नाव चलाना सीख गए। नागमणि भी यारों हमसे दूर नहीं, अब सांपों को भी दूध पिलाना सीख गए। मंदिर के लोगों से जो पहचान हुई, मस्जिद में भी आना-जाना सीख गए। अदबी बज़्म एक और सशक्त हस्ताक्षर हफीज गुनावी ने कहाकि दिन निकलता न रात ढलती है, जिंदगी करवटें बदलती है। आपके वार का असर देखो, जख्म से रोशन निकलती है। कोई जुल्फों को बांधता है मगर, मैंने खुशबू को बांध रखा है। तेरी यादों को आज तक मैंने अपने पल्लू से बांध रखा है। जिसमें साहित्य के जरिए वर्तमान मुद्दों पर भी राय रखी गई। साहित्यकारों ने उर्दू और हिंदी भाषा में काव्य पाठ किया। जिसे रिकॉर्ड भी किया गया है, ताकि सोशल मीडिया के जरिए लोग इस कार्यक्रम का लुत्फ उठा सकें।
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