अत्यंत कठिन है बाल भक्त ध्रुव जैसी भक्ति : आचार्य रसिक वल्लभ नागार्च
वृन्दावन। छीपी गली स्थित प्रिया वल्लभ कुंज में श्रीहित परमानंद शोध संस्थान के द्वारा पुरुषोत्तम मास के पावन उपलक्ष्य में सप्तदिवसीय श्रीमद्भागवत कथा रसोत्सव अत्यंत श्रद्धा एवं धूमधाम के साथ चल रहा है।जिसमें व्यासपीठ से सभी भक्तों-श्रृद्धालुओं को प्रभु भक्ति की महिमा बताते हुए भागवताचार्य रसिक वल्लभ नागार्च ने कहा कि भगवत प्राप्ति के लिए हमें बालभक्त ध्रुव जैसी भक्ति करनी चाहिए और बिना सदगुरुदेव की कृपा के यह भक्ति प्राप्त कर पाना सम्भव नही है।भक्त ध्रुव को भी देवर्षि नारद मुनि जैसे सदगुरुदेव मिले थे।उन्ही के दिए गुरुमंत्र के जाप करने से भक्त ध्रुव को पांच वर्ष की आयु में ही भगवान के दर्शन हुए थे।
उन्होंने कहा कि कलयुग में नाम जप का अत्यधिक महत्व है।इस कलिकाल में बिना कठोर तप के भी केवल नाम जप के द्वारा हमें निश्चित ही भगवत प्राप्ति हो सकती हैं।इसलिए हमें हर घड़ी भगवान के नाम का जप करना चाहिए।
इस अवसर पर श्रीहित परमानंद शोध संस्थान के अध्यक्ष आचार्य विष्णुमोहन नागार्च, महोत्सव के समन्वयक डॉ. गोपाल चतुर्वेदी,पंडित रासबिहारी मिश्रा, पंडित जुगल किशोर शर्मा,श्रीमती कमला नागार्च, प्रकाश अग्रवाल, अनन्तराम सोनी, विपिन अग्रवाल, अनिल भुड्डी, हित कल्याणी (आस्ट्रेलिया), रामनारायण सैनी, आचार्य ललित वल्लभ नागार्च, तरुण मिश्रा, भरत शर्मा, युवा साहित्यकार डॉ. राधाकांत शर्मा, जितेंद्र सैन, हितवल्लभ नागार्च, संगीतज्ञ सुरेश भैया, अजय, मनीष, अर्पित, सोनू आदि के अलावा विभिन्न क्षेत्रों के तमाम गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहे।
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