अखिल भारतीय साहित्य परिषद जिला गुना ने वाल्मिकी जयंती पर आयोजित की काव्य गोष्ठी एवं सम्मान समारोह

Oct 25, 2024 - 15:54
Oct 25, 2024 - 15:54
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अखिल भारतीय साहित्य परिषद जिला गुना ने वाल्मिकी जयंती पर आयोजित की काव्य गोष्ठी एवं सम्मान समारोह

गुना (आरएनआई) स्थानीय सनाढ्य संस्कार भवन गुना में अखिल भारतीय साहित्य परिषद ने बीते दिनों  महर्षि वाल्मिकी जयंती पर काव्य गोष्ठी एवं सम्मान कार्यक्रम आयोजित किया। कार्यक्रम का शुभारंभ मां सरस्वती की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर किया। तत्पश्चात कु. मौली शुक्ला ने सरस्वती वंदना प्रस्तुत की।

इसके पश्चात जिलाध्यक्ष ऋषिकेश भार्गव ने उपस्थित जन का स्वागत करते हुए कहा कि कवि और कविता के लिए महर्षि वाल्मिकी जी की जयंती साहित्य की दीपावली की तरह है। रामायण गेय विधा की पहली रचना है। इस प्रकार महर्षि वाल्मिकी कविकुल शिरोमणि हैं आज इस कार्यक्रम के माध्यम से हम सभी उन्हें नमन करते हैं।कार्यक्रम के मुख्य अतिथि डॉ जवाहर लाल द्विवेदी संभागीय अध्यक्ष एवं विशिष्ट अतिथि डॉ रमा सिंह प्रांतीय उपाध्यक्ष ने गुना शहर के उभरते नए रचनाकारों को सम्मानित किया। जिनमें कु. मौली शुक्ला और विनोद तिवारी (गीत विधा) को प्रमाण पत्र देकर उनको राष्ट्र चेतना के साहित्य निर्माण की शुभकामनाएं दीं। इसी अवसर पर राघौगढ़ के वरिष्ठ साहित्यकार पं महेश बोहरे जी की दो कृतियों का लोकार्पण किया गया।

मुख्य अतिथि द्विवेदी जी ने महर्षि वाल्मिकी के जीवन और कृतित्व से सदन को अवगत कराया। आपने राम के चरित्र का वर्णन करते हुए आज के युवाओं से आव्हान किया कि राम जन्म से दशरथ के पुत्र थे तब वो केवल राम थे, परंतु जब अपने माता पिता की आज्ञा पालन करतें हुए सब कुछ त्यागकर वन गए और 14 वर्ष बाद लौटे तो वह भगवान राम बन गए। मर्यादा की प्रतिमूर्ति राम ने एक पुत्र, पति, सखा और भाई के रूप में एक अलग जीवन प्रतिमान जिए फलस्वरूप मर्यादा में वह पुरषोत्तम कहलाए। ये त्याग का प्रतिफल है व्यक्ति नर से नारायण को प्राप्त हो जाता है। आज आवश्यकता है घर घर में श्री राम के चरित्र को उनके त्याग, तपस्या और स्वरूप को पढ़ने की व जीवन में उतारने की। प्रथम सत्र का सफल संचालन इकाई उपाध्यक्ष प्रेम सिंह प्रेम ने किया एवं आभार  इकाई के जनसंपर्क संयोजक उमाशंकर भार्गव ने व्यक्त किया। 

द्वितीय सत्र में कवि गोष्ठी का आयोजन हुआ जिसमें गोष्ठी की अध्यक्षता सनाढ्य सभा के अध्यक्ष एस के राजोरिया जी ने की एवं मुख्य अतिथि के रूप में सारस्वत उपस्थिति पंडित लखन शास्त्री जी की रही। विशिष्ट अतिथि के रूप में रामकिशोर भारद्वाज कोषाध्यक्ष संस्कार सभा मंचासीन रहे। 

गोष्ठी में गुना, अशोकनगर, राघौगढ़, एन एफ एल, बीनागंज व आरोन से आए कवियों ने अपनी रचनाओं का पाठ किया। रचना पाठ करने वाले कविगण डॉ जवाहर लाल द्विवेदी, डॉ रमा सिंह, दिनेश बिरथरे, प्रेम सिंह प्रेम, संजय खरे, हरीश सोनी, डॉ मंजू शुक्ला, राजेंद्र सोनी, डॉ लक्ष्मी नारायण बुनकर, पं भुवनेश्वर शास्त्री, नरेंद्र भार्गव पद्म, गोविंद मीना, सूबेदार धर्मवीर भारती, अमित कबीर, सलाउद्दीन शिकवा, बाबू खां निडर, उमा शंकर भार्गव, कु.मौली शुक्ला गुना से, एल एन कोष्टी एन एफ एल से, पं महेश बोहरे राघौगढ़, जगदीश शर्मा, महेश श्रीवास्तव, प्रमेंद्र भार्गव, प्रियकांत माथुर अशोकनगर से, विनोद तिवारी आरोन से, दीपक भार्गव बीनागंज से आदि कवियों ने अपनी कविताओं का पाठ किया इस अवसर पर बड़ी संख्या में श्रोतागण उपस्थित रहे।

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